दस्तक-विशेषशख्सियत

शिव की कीर्ति से गौरवांवित हुआ मध्यप्रदेश 

(5 मार्च को जन्मदिवस पर विशेष) 
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान में अनेक सद्गुण हैं लेकिन उनकी सबसे बड़ी विशेषता है दूसरों की मदद करना । यही वजह है कि संवेदनशीलता उनके काम और व्यवहार में स्पष्टत झलकती है । पिछले वर्ष भोपाल की सेंट्रल जेल से फरार सिमी उग्रवादियों ने डय़ूटी पर तैनात प्रधान प्रहरी रमाकांत यादव की हत्या कर दी थी । मुख्यमंत्री ने उनके परिवार की हर संभव मदद की । वे न सिर्फ शहीद रमाकांत यादव की अंतिम यात्रा में शामिल हुए बल्कि उसकी पुत्री की शादी के लिए 5 लाख रुपए की बड़ी रकम तथा शासकीय नौकरी भी दी । ऐसा संवेदनशील मुख्यमंत्री शायद ही मध्यप्रदेश की राजनीति में पहले कभी आया हो । शिवराज की संवेदनशीलता तथा सौम्य-सरल व्यवहार उन्हें लोकप्रिय बनाता गया । कहावत प्रचलित है “यथा नाम तथा गुणे” । अर्थात जैसा नाम वैसा गुण। शिव जी ने जनकल्याण के लिए विष का पान किया था जिसके कारण उनका एक नाम नीलकण्ठ भी है । मध्यप्रदेश की राजनीति में शिवराज सिंह चौहान पर कई गंभीर आरोप लगे जिनका विषपान करके भी वे विकास के पथ से विचलित नहीं हुए। विरोधी सक्रिय रहे लेकिन शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता का ग्राफ उच्च से उच्च होता गया । उन्होंने जो लोकप्रियता हासिल की है उसे नापने में दूसरों को शायद एक युग प्रतीक्षा करना पड़े ।
मध्यप्रदेश की राजनीति के अतीत में झांके तो पूर्ववर्ती सरकारों के अनेक ऐसे लोगों ने सत्ता की बागडोर संभाली जिन्होंने सिर्फ दलगत तथा जातिगत राजनीति की चिंता की। परिणाम यह निकला कि उनकी कुर्सी तो सुरक्षित रही लेकिन प्रदेश विकास नहीं कर पाया और कई मामलों में पिछड़ता गया। सन् 1956 के बाद सत्ता के नाम पर जिस समय जातिगत राजनीति को आधार बनाया गया उसी कालखण्ड में शिवराज सिंह चौहान की प्रारंभिक राजनीति शुरु हुई थी। यदि शुरुआती दौर की बात करें तो शिवराज सिंह ने मजदूरों के हक में आवाज बुलंद कर अपनी क्रांतिकारी विचारधारा का परिचय दे दिया था। उस समय किसी को आभास तक नहीं हुआ होगा कि मजदूरों को हक दिलाने की बात करने वाला यह नौजवान एक दिन प्रदेश का नेतृत्व भी करेगा। उनके अतीत को जानने वाले बताते हैं कि उन्होंने छात्र जीवन से ही संघर्ष की राह चुन ली थी। बचपन में अपने पिता को खेती-किसानी में होने वाली दिक्कतों से जूझते हुए देखकर उनका मन भी जीवन में संघर्ष करने के लिए व्याकुल हो उठता। उन्हीं दिनों का एक वाक्या आज भी प्रासंगिक है कि पिता के लिए खेती में लगे मजदूरों के हक के लिए आवा उठाकर शिवराज सिंह चौहान ने यह संकेत दे दिया था कि वर्षों से चली आ रही सामंती प्रथा को अब ठुकराना होगा और आम आदमी के हित की चिंता करना होगी। यही वजह रही थी कि उन्होंने अपने गृह ग्राम में मजदूरों की पारिश्रमिक दर को बढ़ाने के लिए प्रदर्शन कर दिया।

राजनीतिक सूझबूझ रखने वाले लोगों का मानना है कि शिव ने यहीं से अपनी कर्त्तव्य परायणता की शुरुआत की थी। इसके बाद युवा होने पर सक्रिय राजनीति में उनका पदार्पण हुआ। अपनी अद्भुत कार्यक्षमता, विवेकशील तर्कबुद्धि तथा सरल सौम्य व्यवहार के कारण उन्होंने काफी कम समय में ही विभिन्न ऊँचाईयों को स्पर्श कर अपने नाम के अनुरूप संगठन तथा समाज में अपनी पृथक प्रतिष्ठा स्थापित कर ली। जनसेवा उनका शगल है । यही वजह है कि जनता के आँसू पोंछने में मुख्यमंत्री कभी पीछे नहीं हटे। प्रदेश के सभी वर्गों में यह संदेश गया है कि दुख-सुख में वे उनके साथ खड़े हैं। सरकार को जनता के समीप लाने की परम्परा चली तो विकास के नये रास्ते खुलते गए। यह प्रयोग मध्यप्रदेश में ही हुआ है। वे लगातार सड़क, बिजली, पानी के साथ-साथ शिक्षा और स्वास्थ्य की व्यवस्था को सुधारने तथा उन्हें गति देने के लिए प्रयत्नशील रहे। प्रदेश में रोजगार को बढ़ावा देने के लिये निवेशकों को यहाँ आमंत्रित किया। बेटियों के मामा के रूप में उन्होंने आम आदमी के बीच अपनी अद्भुत पहचान बनायी। बेटी बचाओ योजना को देशभर में प्रशंसा मिली और आज भी अनेक बालिकाएं इससे लाभांवित हो रही हैं। किसान पुत्र होने के कारण शिवराज ने किसानों की चिंता की। 100 प्रतिशत लगने वाले ब्याज दर को घटाकर उसे शून्य प्रतिशत किया। देश के अन्य किसी भी राय को यह उपलब्धि हासिल नहीं हो सकी है। 5 मार्च को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का 58वाँ जन्मदिन है। इस दिन प्रदेश का हर नागरिक यह संकल्प ले कि वह विकास के रास्ते पर प्रदेश को अग्रसर करने के लिए सरकार के साथ अपनी जनभागीदारी सुनिश्चित करे ताकि देश के मानचित्र पर मध्यप्रदेश सर्व विकसित, समृद्धशाली, शक्तिशाली और धार्मिक सद्भाव की पहचान दिलाने वाला राय बनकर उभर सके।

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