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शैक्षिक खिलौनों का देश में विशाल बाजार

khilonaनई दिल्ली (एजेंसी)।। देश में शैक्षिक खिलौनों की मांग हर साल 15 फीसदी की दर से बढ़ रही है। पिगेसस टॉयक्राफ्ट के बिजनेस डेवलपमेंट निदेशक श्याम मखीजा ने  कहा  ‘‘आने वाले दिनों में शैक्षिक खिलौनों की मांग और अधिक बढ़ेगी  क्योंकि अभिभावक अपने बच्चों के लिए अधिक से अधिक मानसिक क्रिया वाले खिलौने खोजते रहते हैं।’’ उन्होंने कहा  ‘‘शैक्षिक खिलौनों के बाजार में अगले पांच साल तक 15 फीसदी सालाना विकास की संभावना है।’’ भारतीय अभिभावकों का अपने बच्चों की शिक्षा पर सबसे अधिक ध्यान रहता है इसलिए वे हमेशा ऐसे खिलौने खोजते रहते हैं  जिनसे बच्चों को शिक्षा मिले। खिलौना कारोबारियों का मानना है कि अधिकतर खिलौने किसी-न-किसी रूप में शैक्षिक मूल्य प्रदान करते हैं। उनके मुताबिक इस तरह के खिलौनों में शामिल हो सकते हैं जिगशॉ पज्ल  टाइल पज्ल  स्मरण आधरित खेल  डू-इट-योरसेल्फ आर्ट और क्राफ्ट किट  बिल्डर ब्लॉक्स तथा कंस्ट्रक्शन सेट। टॉय एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष सुनील नंदा ने कहा  ‘‘शिक्षित लोगों के बीच शैक्षिक खिलौनों की मांग बढ़ती जा रही है। सीखने और खेलने का हमेशा से आपस में संबंध रहा है और हमें यह पता होना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि अभी खिलौनों का अनुमानित खुदरा बाजार करीब 1० हजार करोड़ रुपये का है। वेलबाई इंपेक्स के निदेशक पेरश चावला ने कहा कि खेल-खेल में बच्चों को कुछ सिखाने में खिलौने की विशेष भूमिका होती है। उन्होंने कहा  ‘‘यही कारण है कि इन दिनों भारतीय अभिभावक शैक्षिक खिलौने पर अधिक-से-अधिक खर्च करना चाहते हैं।’’ विभिन्न प्रकार के शैक्षिक किट का विकास करने वाले विज्ञान प्रसार के वैज्ञानिक कपिल त्रिपाठी ने कहा कि उनके किट से बच्चे भूकंप और जैवविविधता जैसी घटनाओं के बारे में सही जानकारी पा सकेंगे। वज्ञान प्रसार अपने किट किसी दुकान पर नहीं बेचता। ये किट काफी कम कीमत पर सीधे कार्यालय से ही हासिल किए जा सकते हैं। अभी देश में करीब 3०० पेशेवर खिलौना निर्माता कंपनियां काम कर रही हैं।

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