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सर्जिकल स्ट्राइक का असर : तबाह हुआ PAK का कारोबार

img_20160930010525POK में हुई SURGICAL STRIKE की खबरों ने PAK की रीढ़ की हड्डी ही तोड़ दी है। PAK के बड़े से बड़े बिजनेसमैन निराश है। निराश कर दिया है। व्यापारी चाहते थे कि PAK और INDIA के रिश्ते सही हो जाएं लेकिन ऐसा हो न सका

कराची चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के पूर्व अध्यक्ष मियां अबरार अहमद ने कहा, ‘आज हमें लग रहा है कि हमने यह सोचकर गलती की थी कि भारत के साथ कारोबारी रिश्ते सामान्य हो सकते हैं। हम भारत के PM नरेंद्र मोदी की आक्रामक नीतियों से निराश हैं।’ गौरतलब है कि भारत पाकिस्तान को करीब 20 साल पहले दिए गए मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN)का दर्जा वापस लेने पर भी विचार कर रहा है।
पाक कारोबारी के लिए चित्र परिणाम
ऑइल, गैस, होटल, आईटी और फार्मा जैसे सेक्टरों में सक्रिय पाकिस्तान के बड़े कारोबार समूह हशवानी ग्रुप ऑफ कंपनीज के सीईओ अमीन हशवानी ने कहा, ‘पाकिस्तान ने तो भारत को MFN का दर्जा नहीं दिया है, लेकिन अगर आप भारत-पाकिस्तान के द्विपक्षीय कारोबार पर नजर डालें तो यह सालाना करीब 2 अरब डॉलर का है और इसमें भारत की भागीदारी 80 फीसदी है। हमें MFN का दर्जा दिए जाने का कोई मतलब ही नहीं है क्योंकि भारत को सामान एक्सपोर्ट करने में कई पाकिस्तानी कारोबारियों को अब भी दिक्कत होती है।’
दोनों देशों के बीच कारोबार नॉन-अफिशल चैनल्स से भी होता है। यानी स्मगलिंग और राउंड ट्रिपिंग से। सूत्रों के अनुसार इस तरह की आवाजाही करीब 6 अरब डॉलर सालाना तक की है। पीटरसन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल इकनॉमिक की ओर से की गई एक स्टडी के मुताबिक, अगर कुछ बाधाओं को हटा दिया जाए तो दोनों देशों के बीच व्यापार 42 अरब डॉलर तक जा सकता है। कारोबारी संबंधों में सुधार की राह में सबसे बड़ी बाधा अस्थिर राजनीतिक संबंध रहे हैं। दोनों देशों के कई कारोबारियों का दावा है कि कारोबारी नियम ‘निष्पक्ष नहीं हैं।’ पाकिस्तानी कारोबारियों की शिकायत है कि भारत ने नेगेटिव आइटम्स की लिस्ट बहुत लंबी रखी है। इन चीजों का आयात MFN दर्जे के बावजूद नहीं किया जा सकता है।
 

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