अद्धयात्म

सितारे कर रहे संकेत, शनि-मंगल का योग मचाएगा तबाही!

phpThumb_generated_thumbnail (20)दस्तक टाइम्स एजेंसी/वृश्चिक राशि में 20 फरवरी को मंगल का प्रवेश हो रहा है और वह आगामी 18 सितम्बर तक वहीं रहेगा। सामान्यत: मंगल एक राशि में केवल 45 दिनों तक ही रहता है, किंतु प्रत्येक ढाई वर्ष के अंतराल पर मंगल वक्री होकर एक राशि में लगभग 6 माह तक ठहरता है। 
 जिस वर्ष मंगल एक राशि में 6 महीने तक रुकता है, यदि उस वर्ष वह शनि से स्थिति अथवा युति द्वारा कोई योग बना ले तो बड़े भूकंपों और युद्धों से जन-धन की भारी क्षति करता है। मेदिनी ज्योतिष के ग्रंथों के अनुसार यदि मंगल की दृष्टि ग्रहण की राशि पर पड़ रही हो तो उस वर्ष बड़े युद्ध, अकाल और भूकंपों से भारी क्षति पहुंचती है। 
संयोग से इस वर्ष उक्त सभी योग एकसाथ घटित हो रहे हैं। मंगल वृश्चिक राशि में 6 माह के समय तक शनि के साथ युति करेंगे। आगामी 9 मार्च को पडऩे वाले सूर्य ग्रहण की राशि कुम्भ पर मंगल की दृष्टि 5 महीनों तक रहेगी जो कि एक बड़े भूकंप और युद्ध का योग है। ज्योतिष के शास्त्रीय ग्रंथों के अनुसार निम्न ग्रह स्थितियों में बड़े भूकंप आ सकते हैं।
 1. महर्षि गर्ग के अनुसार अमावस्या और पूर्णिमा के आसपास अधिकतर भूकंप आते हैं। यदि उस समय सूर्य या चंद्र ग्रहण भी हो तो बड़े भूकंपों की संभावना अधिक बनती है।
 2. वृषभ-वृश्चिक और मकर-कर्क  राशियों में पाप ग्रहों शनि, मंगल, राहु और केतु से पीडि़त होने पर उत्तर भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में बड़े भूकंप आते हैं।
 3. ग्रहण के समय यदि सूर्य-चंद्रमा, शनि, मंगल और गुरु पृथ्वी तत्व की राशियों अथवा नवमांशों में हों तब ग्रहण के आसपास बड़े भूकंप आते देखे गए हैं। वृषभ, कन्या और मकर को हिन्दू ज्योतिष में पृथ्वी तत्व की राशियां कहा जाता है।
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 4. ग्रहण के समय या अमावस्या अथवा पूर्णिमा के समय यदि बड़े ग्रह शनि, मंगल और गुरु परस्पर केंद्र में स्थित हों तब भी भूकंप आने की संभावना बनती है। यदि इन तीनों में से एक या दो ग्रह वक्री हों तब भूकंप बेहद विनाशकारी हो सकते हैं।
 5. भूकंप की दिशा ज्ञात करने हेतु कूर्म-चक्र का प्रयोग किया जाता है, जिसका वर्णन विष्णु पुराण और बृहत् संहिता में विस्तार से दिया गया है।
वर्तमान में मंगल के वृश्चिक राशि में शनि से युति करने के साथ ही भूकंप की प्रबल संभावनाएं बन गई हैं। 9 मार्च को पडऩे वाला सूर्यग्रहण पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में है जो कि कूर्म-चक्र के अनुसार उत्तर दिशा को इंगित करता है। 
चूंकि यह सूर्यग्रहण कुम्भ राशि में पड़ रहा है, इसलिए पश्चिम दिशा पर भी इसका प्रभाव देखा जाएगा। अत: उत्तर-पश्चिम भारत और पाकिस्तान पर 20 फरवरी से लेकर 23 मार्च, जो कि चंद्र ग्रहण का दिन है, तक एक बड़े भूकंप आने का खतरा मंडरा रहा है। 
 यह भूकम्प रिक्टर स्केल पर 7.7 से अधिक का होगा और इसके कई झटके बार-बार महसूस किए जाएंगे। भूकंप के आने की सबसे प्रबल संभावना 9 मार्च के सूर्यग्रहण के आसपास होगी।
 

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