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हमारे लिए तिरपाल में रामलला का अंतिम दर्शन: भैयाजी जोशी

25 नवंबर को हिंदू संगठनों द्वारा अयोध्या में बुलाई गई धर्मसभा से पहले आरएसएस नेता भैयाजी जोशी ने कहा है कि तिरपाल में रामलला का यह आखिरी दर्शन है। उन्होंने कार्यशाला में चल रही तैयारियां भी देखीं।

अयोध्या: अयोध्या में 25 नवंबर को विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) की विराट धर्म सभा को लेकर हलचल तेज हो गई है। सोमवार को अयोध्या पहुंचे राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) के सर कार्यवाह भैयाजी जोशी ने कहा कि तिरपाल में रामलला का आखिरी दर्शन है। उन्होंने यह भी कहा कि 25 नवंबर को अयोध्या में राम भक्तों की शक्ति का प्रदर्शन होगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) वीएचपी और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) मिलकर राम भक्तों के शक्ति परीक्षण कार्यक्रम में एक लाख से ज्यादा राम भक्तों को बड़ा भक्त माल की बगिया में बुला रहे हैं।

अयोध्या धर्मसभा को सफल बनाने के लिये तैयारियों का जायजा लेने पहुंचे आरएसएस के सर कार्यवाह भैयाजी जोशी, सह सरकार्यवाह डॉ कृष्ण गोपाल और दत्तात्रेय होसबोले, प्रांत प्रचारक कौशल किशोर, सह प्रांत कार्यवाह डॉ अनिल मिश्र और डॉ प्रशांत भाटिया सहित वीएचपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय ने रामलला का दर्शन किया और श्रीराम जन्मभूमि न्यास अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास से मुलाकात की।

सभी पदाधिकारियों ने बैठक कर कार्यक्रम स्थल का निरीक्षण किया और कार्यशाला में तराशे गए पत्थरों को को देखा। संघ के सर कार्यवाह भैयाजी जोशी ने कहा, ‘हमारे लिए तिरपाल में श्रीराम लला का यह दर्शन अंतिम है। ऐसी स्थिति बने कि भव्य मन्दिर में दर्शन हो ऐसी अपेक्षा करता हूं। साधू संतों के आह्वान पर धर्म सभाएं हो रही हैं। हम सब हिंदू और राम भक्त होने के नाते इन सभी धर्म सभाओं में सम्मिलित होंगे।’

उन्होंने कहा, ‘साधु संतों के आह्वान को हिंदू समाज बहुत सख्ती से स्वीकार करेगा और 25 नवंबर को राम भक्तों की शक्ति का प्रदर्शन होगा, जिसमें धर्मसभा से राम मंदिर का संकल्प दोहराया जाएगा। हम चाहते हैं कि शासन भी इसके संदर्भ में जो शासन के अधिकार हैं, उनकी पहल वह करें। कानून बनाना ना बनाना यह सत्ता में बैठे लोगों का व्यक्तिगत मामला है। हम सरकार से कुछ नहीं कहेंगे। न्यायालय से हमारी मांग है कि हिंदुओं की जन भावनाओं का सम्मान करते हुए शीघ्र इस मुद्दे को अति संवेदनशील मानकर निर्णय करें और मार्ग की बाधाओं को दूर करें।’ उन्होंने कहा कि सोमनाथ मंदिर निर्माण की तुलना अयोध्या से नहीं की जा सकती है क्योंकि सोमनाथ की परिस्थिति भिन्न थी।

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