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28 फरवरी 2002 को गुजरात के अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसाइटी में क्या हुआ था?

एजेंच्य/ ehsan-jafri-zakia-jafri_650x400_61464846366_636004684004067813नई दिल्ली: गुजरात दंगों के दौरान हुए गुलबर्ग सोसाइटी हत्याकांड में आज फैसला आ गया है। 24 को दोषी करार दिया गया है जबकि 36 को बरी किया गया है। 28 फरवरी 2002 को हजारों की हिंसक भीड़ ने गुलबर्ग सोसायटी पर हमला कर दिया था। 69 लोग मारे गए थे, जिनमें पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफ़री भी थे। 39 लोगों के शव बरामद हुए थे और 30 लापता लोगों को सात साल बाद मृत मान लिया गया था। क्या था पूरा मामला आइए समझें –

  1. गोधरा में एक ट्रेन की दो बोगी जलाए जाने के एक दिन बाद यानी 28 फरवरी, 2002 को 29 बंगलों और 10 फ्लैट की गुलबर्ग सोसायटी पर हमला किया गया। गुलबर्ग सोसायटी में सभी मुस्लिम रहते थे सिर्फ एक पारसी परिवार रहता था। पूर्व कांग्रेसी सांसद एहसान जाफरी भी वहां रहते थे।
  2. इस मामले में 66 आरोपी हैं। जिसमें प्रमुख आरोपी भाजपा के असारवा के काउंसलर बिपिन पटेल भी हैं।
  3. इस मामले के 4 आरोपियों की ट्रायल के दौरान मौत हो गई है।
  4. आरोपियों में से 9 अब भी जेल में हैं जबकि अन्य सभी आरोपी ज़मानत पर बाहर हैं।
  5. इस मामले में 338 से ज्यादा गवाहों की गवाही हुई है।
  6. सितंबर 2015 में इस मामले का ट्रायल खत्म हो गया और अब निर्णय का दिन है।
  7. 20,000 से ज्यादा लोगों की हिंसक भीड़ ने पूरी सोसायटी पर हमला किया। लोगों को मार दिया गया औऱ ज्यादातर लोगों को जिंदा जला दिया। 39 लोगों के शव बरामद हुए और अन्य को गुमशुदा बताया गया। लेकिन सात साल बाद भी उनके बारे में कोई जानकारी न मिलने पर उन्हें मृत मान लिया गया। अब कुल मृत्यु का आंकड़ा 69 है।
  8. 8 जून, 2006 को एहसान जाफरी की बेवा ज़किया जाफरी ने पुलिस को एक फरियाद दी जिसमें इस हत्याकांड के लिए मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी, कई मंत्रियों और पुलिस अधिकारियों को ज़िम्मेदार ठहराया गया। पुलिस ने ये फरियाद लेने से मना कर दिया।
  9. 7 नवंबर, 2007 को गुजरात हाईकोर्ट ने भी इस फरियाद को एफआईआर मानकर जांच करवाने से मना कर दिया।
  10. 26 मार्च, 2008 को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों के 10 बड़े केसों की जांच के लिए आर के राघवन की अध्यक्षता में एक एसआईटी बनाई। इनमें गुलबर्ग का मामला भी था।
  11. मार्च 2009 में ज़किया की फरियाद की जांच करने का जिम्मा भी सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी को सौंपा।
  12. सितंबर 2009 को ट्रायल कोर्ट में गुलबर्ग हत्याकांड की सुनवाई (ट्रायल) शुरू हुई।
  13. 27 मार्च 2010 को नरेंद्र मोदी को एसआईटी ने ज़किया की फरियाद के संदर्भ में समन किया और कई घंटों की पूछताछ हुई।
  14. 14 मई 2010 को एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश कर दी।
  15. जुलाई 2011 में एमीकस क्‍यूरी राजू रामचन्द्रन ने इस रिपोर्ट पर अपना नोट सुप्रीम कोर्ट में रखा।
  16. 11 सितंबर 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला ट्रायल कोर्ट पर छोड़ा।
  17. 8 फरवरी 2012 को एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट मेट्रोपोलिटन मजिस्‍ट्रेट की कोर्ट में पेश की।
  18. 10 अप्रील 2012 को मेट्रोपोलिटन मजिस्‍ट्रेट ने एसआईटी की रिपोर्ट को माना कि मोदी और अन्य 62 लोगों के खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं।

 

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