अन्तर्राष्ट्रीय

भूटान बॉर्डर विवादः चीन के खिलाफ नई रणनीति तैयार कर रहा भारत !

बीजिंगः भूटान बॉर्डर को लेकर भारत-चीन के बीच बढ़ते विवाद के बाद भारत अब नई रणनीति के तहत काम करता नजर आ रहा है। रिपोर्ट्स की मानें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार अगले साल 69वें गणतंत्र दिवस पर दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान) के देशों को न्यौता दे सकती है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 5 जून को दिल्ली में आयोजित भारत-आसियान वार्ता के नौवें संस्करण में कहा था कि आसियान देशों के साथ भारत के संबंध मजबूत करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। हम आसियान देशों को अपनी पूर्व में काम करो की नीति के तहत अपने सपनों के केंद्र में एशियाई शताब्दी को जगह देते हैं। हमने दक्षिण-पूर्व एशिया में अपनी भागीदारी बढ़ा दी है। बता दें कि ये टिप्पणी विदेश मंत्री ने साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की म्यांमार में भारत-आसियान सम्मेलन में उस घोषणा के जवाब में की है जिसमें पीएम मोदी ने भारत की ‘पूर्व की ओर देखो’ पर बात की थी। बता दें कि ब्रुनई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम आसियान के सदस्य हैं। उल्लेखनीय है कि दक्षिण चीन सागर में चीन के दावे को लेकर कुछ आसियान राष्ट्रों का खुद चीन से टकराव चल रहा है।
चीन पूरे दक्षिण चीन सागर, यहां तक कि जो हिस्सा दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों जैसे फ़िलीपीन्स, ब्रूनेई, इंडोनेशिया और वियतनाम के तटीय इलाकों को छूता है, उस पर भी अपना दावा करता है। फिलीपींस इस विवाद को लेकर चीन को हेग में अंतर्राष्ट्रीय न्यायाधिकरण लेकर गया था। कोर्ट ने जुलाई में पिछले साल चीन के खिलाफ फैसला दिया था। जबकि चीन के अखबार ने इसे एक ‘अपमानजनक एकतरफा’ निर्णय बताया था। वहीं केंद्र सरकार के अनुसार भारत आसियान देशों के साथ मजबूत संबंध बनाना चाहता है। अरुणाचल प्रदेश के विकास में तेजी लाने की ये कोशिश चीन के साथ सीमा विवाद को ध्यान रखते हुए महत्वपूर्ण है। बता दें कि इस वक्त भारत और चीन के बीच डोकलाम क्षेत्र में चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस क्षेत्र में चीन ने सड़क निर्माण की कोशिश की थी जिसका भूटानी सेना ने विरोध किया था। भूटानी सेना की मदद के लिए आई भारतीय सेना और चीन की सेना अब आमने-सामने आ गई है।

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