अन्तर्राष्ट्रीय

चीनी सेना ने कहा- भारत को अपने सीमा प्रहरियों को नियंत्रण में रखना चाहिए

बीजिंग. डोकलाम गतिरोध के समाधान को इस साल अंतरराष्ट्रीय सहयोग में अपनी बड़ी उपलब्धि बताते हुए चीन की सेना ने कहा कि भारत को सीमा पर शांति एवं स्थायित्व बनाए रखने के लिए अपनी सैनिकों को कड़ाई से नियंत्रण में रखना चाहिए तथा सीमा समझौतों को लागू करना चाहिए. चीन के रक्षा प्रवक्ता कर्नल रेन गुआछियांग ने कहा कि वर्ष 2017 में उनके देश के अंतरराष्ट्रीय सैन्य सहयोग के प्रमुख बिंदुओं में डोकलाम जैसा गंभीर मुद्दों से निबटना शामिल रहा.चीनी सेना ने कहा- भारत को अपने सीमा प्रहरियों को नियंत्रण में रखना चाहिए

उन्होंने कहा कि इस साल एकीकृत तैनाती के तहत सेना ने चीन की संप्रभुता एवं सुरक्षा हितों की दृढ़ता से रक्षा की. उन्होंने एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि चीनी सेना ने डोंगलांग (डोकलाम) में चीन भारत टकराव जैसे गंभीर मुद्दों से निबटने में अपनी उचित भूमिका निभाई और उसने दक्षिण चीन सागर में चीन के अधिकारों एवं हितों की रक्षा की.

डोकलाम गतिरोध 16 जून को शुरु हुआ क्योंकि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने भूटान के दावे वाले क्षेत्र में सड़क निर्माण का काम शुरु कर दिया था. भारतीय सैनिकों ने इस सड़क निर्माण को रोकने के लिए दखल दी क्योंकि यह चिकेन नेक के लिए सुरक्षा जोखिम पैदा कर रहा था. भारत को पूर्वोत्तर के उसके राज्यों के साथ जोड़ने वाले गलियारे को चिकेन नेक कहा जाता है. यह गतिरोध 28 अगस्त को खत्म हुआ जब एक सहमति बनी और उसके तहत चीन ने सड़क निर्माण रोक दिया एवं भारत ने अपने सैनिक वापस बुला लिये.

भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा जम्मू कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक फैली है. जब कर्नल रेन से पूछा गया कि चीन की सेना वर्ष 2018 में भारतीय सेना के सथ अपने रिश्तों को किस तरह देखती है तो उन्होंने कहा, हम आशा करते हैं कि भारतीय पक्ष सीमा मुद्दे पर दोनों पक्षों के बीच हुए प्रासंगिक समझौतों को लागू करेगा एवं अपने सीमा प्रहरियों को कड़ाई से नियंत्रण में रखेगा तथ चीन-भारत सैन्य संबंधों के सकारात्मक विकास के लिए और कुछ करेगा.

उन्होंने 73 दिनों के डोकलाम गतिरोध के बाद पहली बार 22 दिसंबर को दिल्ली में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल एवं चीनी स्टेट काउंसिलर यांग जीची के बीच हुई सीमा वार्ता के बारे में कहा जहां तक हमें मालूम है, उस हिसाब से दोनों पक्ष इस बात पर सहमत थे कि भारत चीन सीमा पर शांति एवं स्थायित्व बनाए रखना तथा द्विपक्षीय संबंधों के और विकास के लिए अनुकूल माहौल बनाए रखना महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी से चीन और भारत के बीच संबंधों में वृद्धि के लिए अच्छी रफ्तार मिली है. कर्नल रेन ने कहा कि चीन और भारत के सैन्य संबंधों के विषय में रणनीतिक संवाद रखना तथा दोनों सेनाओं के बीच संबंधों के स्वस्थ विकास पर बल देना महत्वपूर्ण है.

उन्होंने कहा, हम आशा करते हैं कि भारतीय पक्ष उसी दिशा में बढ़ेगा जिस दिशा में चीनी पक्ष बढ़ेगा तथा दोनों पक्ष संबंधों के विकास तथा चीन भारत सीमा पर शांति एवं स्थायित्व बनाए रखने पर बल देंगे क्योंकि यह उनके हित में है. जब उनसे हाल ही में सिक्किम सेक्टर में चीनी क्षेत्र में एक भारतीय ड्रोन के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने ब्योरा देने से मना कर दिया तथा यह भी नहीं बताया कि चीनी सैनिकों को मिले कलपुर्जे भारत को लौटाए गए या नहीं.

कर्नल रेन ने कहा, यह हमारा रुख है कि भारत को इस घटना से सबक सीखना चाहिए था. सात दिसंबर को चीन ने राजनयिक विरोध दर्ज कराया था जिसमें दावा किया था कि एक भारतीय ड्रोन उसके विमान क्षेत्र में प्रवेश कर गया और सीमा के सिक्किम क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हो गया. भारत ने सफाई दी है कि उसका मानवरहित वायुयान तकनीकी गड़बड़ी का शिकार हो गया और उसने चीन से उसे लौटाने को कहा.

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