सरकार को यह बातें लगभग तीन हफ्ते पहले ही लिक्कर इस पर जल्द विचार करने का आग्रह किया था, जिससे इसे इस साल होने वाले आम चुनाव में लागू किया जा सके मगर अबतक कोई खास प्रगति नहीं देखी गई है। संसद का अंतिम सत्र 13 फरवरी को खत्म हो रहा है।
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुच्छेद 126 के अंतर्गत मतदान से 48 घंटे पहले जनसभा और टेलीविजन प्रचार पर रोक लगाता है। 17 जनवरी को कानून सचिव को लिखे पत्र में आयोग ने प्रिंट मीडिया को भी इसके अंदर लाने की बात कही थी। आयोग के मुताबिक वर्तमान में उम्मीदवार इलेक्शन साइलेंस के दौरान भी प्रिंट मीडिया के माध्यम से प्रचार करते हैं। कई बार तो यह मतदान के दिन भी जारी रहता है।
आयोग ने अनुच्छेद 126 की समीक्षा करने के लिए बनाई गई कमेटी की रिपोर्ट पर यह बाते कही है। 10 जनवरी की रिपोर्ट में कमेटी ने 48 घंटे पूर्व लगने वाले इस बैन का दायरा बढ़ाने की सिफारिश की थी। इसमें यह बात भी शामिल है कि कोई भी कोर्ट अनुच्छेद 126(1) के अंदर होने वाले उल्लंघनों का स्वतः संज्ञान नहीं ले सकता जबतक आयोग या राज्य चुनाव अधिकारी इसकी अनुशंसा नहीं करता।
चुनाव आयोग मीडिया को परिभाषित करते हुए अनुच्छेद 126(2) जोड़ना चाहता है जिसके अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में इंटरनेट, रेडियो, टेलीविजन, केबल चैनल, प्रिंट मीडिया के इंटरनेट या डिजिटल संस्करण आते हैं। वहीं प्रिंट मीडिया में न्यूज़ पेपर, मैगजीन और प्लेकार्ड शामिल है।
विधि आयोग ने अपने 255 वें रिपोर्ट में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुच्छेद 126 में संसोधन की बात कही थी। पूर्व चुनाव आयोग एस वाई कुरैशी ने भी 2012 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को चुनाव के 48 घंटे पूर्व प्रचार पर लगने वाले प्रतिबंध में प्रिंट मीडिया को लाने के लिए पत्र लिखा था।