लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समाज के विभन्न वर्गों से मिलकर उनसे जुड़े मुद्दों को समझने और उसके समाधान को लेकर चर्चा कर रहे हैं।
नई दिल्ली : तिरुपति से लौटने के बाद शनिवार को दिल्ली में काग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी छात्रों को संबोधित करने पहुंचे। शिक्षा: दशा और दिशा नाम से यह कार्यक्रम जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में रखा गया है, जहां राहुल देश में शिक्षा की स्थिति को लेकर छात्रों से रूबरू हुए। इस दौरान राहुल नए लुक में नजर आएं, छात्रों के बीच वो जींस-टीशर्ट और हाफ जैकेट में पहुंचे. कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्र गान और पुलवामा के शहीदों के श्रद्धांजली देकर की गई। राहुल गांधी ने जाते-जाते छात्रों से कहा कि कुछ लोग मुझे पसंद करेंगे, कुछ लोग नापसंद करेंगे। लेकिन आप जिसका भी समर्थन कर रहे हैं, उसमें हिम्मत होनी चाहिए कि वो आपके सामने खड़ा होकर आपकी बात सुन सके, आपको गले लगा सके. अगर उसमें हिम्मत नहीं है तो आपको सवाल पूछना चाहिए कि उसमें इतनी हिम्मत क्यों नहीं है।
राजनीतिक दलों के आरटीआई के दायरे में लाने के सवाल पर राहुल ने कहा कि पारदर्शिता होनी चाहिए। राजनीतिक दल जनता का संगठन है। न्यायपालिका, प्रेस, नौकरशाही यह संस्था है, अगर राजनीतिक दलों पर आरटीआई होनी चाहिए तो प्रेस और न्यायपालिका में भी होनी चाहिए। राहुल ने कहा कि अगर हम आरटीआई के दायरे में आते है तो मैं चाहूंगा कि यह 15-20 उद्योगपतियों पर भी लगे। आज आरटीआई कानून को कमजोर करने का काम किया जा रहा है।अगर आप सच में भ्रष्टाचार की बात करना चाहते है, सबसे बड़ा भ्रष्टाचार जमीन के मामले में होता है। हम भूमि अधिग्रहण बिल लाए, कि बिना किसान से पूछे जमीन नहीं ली जाएगी और अगर ली गई तो उन्हें चार गुना दाम देना पड़ेगा। लेकिन मोदी सरकार ने आते ही इसे कमजोर करने की कोशिश की।
अपने निजी जीवन में हिंसा का सामना करने की बात करते हुए राहुल ने कहा कि जब मैं शामली शहीद जवान के परिवार से मिलने गया तो मुझे लगा मेरे पिता की हत्या भी बम घमाके से हुई, इसलिए मुझे पता था कि वो कैसा महसूस कर रहे हैं। इसके अलावा मेरी दादी को 32 गोलियां मारी गई, लेकिन आज हमसे पूछेंगे तो मैं यही कहूंगा कि हिंसा को प्यार से ही मिटाया जा सकता है। महात्मा गांधी, अशोक के जीवन से हमें यही संदेश मिलता। राहुल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंंद्र मोदी संसद में मेरे परिवार के लिए भला-बुरा कह रहे थें, लेकिन मैं जाकर उनके गले लग गया। जब मेरी दादी की मौत हुई तो मेरे पिता बंगाल में थे। मुझे काफी गुस्सा था जब मेरी दादी की हत्या हुई, उनकी हत्या करने वाले उनके सुरक्षागार्ड थे। लेकिन जब मेरे पिता आए और उन्होंने मुझे गले लगाया तो मेरा गुस्सा चला गया।
राहुल गांधी ने अपने सेंट स्टीफन्स कॉलेज के दौर की बात साझा करते हुए कहा कि उन्हें याद है कि स्टीफन्स में पेड़ के नीचे उनकी रैगिंग हुई थी। इसके अलावा इतिहास के प्रोफेसर का लेक्चर भी याद है। लेकिन जब मैं अमेरिका पढ़ने के लिए गया तब मुझे कल्चरल शॉक लगा, जब मैने देखा कि वहां पर छात्र कितना आक्रामक होकर सवाल पूछते हैं। देश और दुनिया में दक्षिणपंथ के उभार के सवाल पर राहुल गांधी ने कहा भारत, अमेरिका और यूरोप की समस्या को देखें तो मुख्य समस्या यह है कि युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही, रोजगार न मिलने के चलते युवाओं में रोष है और दक्षिणपंथी इसका फायदा उठा रहे हैं। हमारा मुख्य मुकाबला चीन के साथ है। लेकिन सरकार यह स्वीकार नहीं कर रही कि देश में रोजगार संकट है। इसका हल हो सकता है, लेकिन इससे पहले मानना होगा कि कहीं न कहीं समस्या है।
राहुल ने पूछा कि क्या प्रधानमंत्री कभी आपके (छात्रों) पास आकर इस तरह से बात करते हैं। लेकिन मैं आता हूं कि आप मुझसे कठिन सवाल पूछ सकते हैं। पीएम को आपकी बात सुननी चाहिए ना कि अपनी बात बतानी चाहिए। डीयू की छात्रा के सवाल कि जो जवान के लिए जवान देते हैं उन्हें सरकार शहीद का दर्जा नहीं देती के जवाब में राहुल गांधी ने कहा कि अर्धसैनिक बलो, को जो शहीद का दर्जा नहीं मिलता है वो मिलना चाहिए। हमारी सरकार आएगी तो उन्हें शहीदों दर्जा मिलेगा। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोग एक के बाद एक विश्वविद्यालयों में बैठाए जा रहे हैं। उन्हें सिर्फ अपनी विचारधारा से मतलब है, छात्रों से कोई लेना देना नहीं वो चाहते हैं कि हिंदुस्तान का शिक्षा तंत्र उनका गुलाम बन जाए। लेकिन ऐसा नहीं हो सकता, हमारा जवाब होगा कि इन संस्थाओं को स्वतंत्रता मिले, छात्रों को तय करने का मौका दिया जाए।
दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के छात्र के सवाल के जवाब में राहुल ने कहा कि आज देश में सब कुछ 15 से 20 लोगों के लिए हो रहा है, अपना फोन देखिए, बंदरगाह देखिए कुछ लोगों के लिए काम हो रहा है। हम चाहते हैं कि राज्य अपने बजट का ज्यादा से ज्यादा शिक्षा पर करे। आप देख सकते हैं कि हमारी सरकार के बाद शिक्षा के बजट में कमी आई है। बीजेपी को लगता है कि आप निजिकरण से शिक्षा में प्रगति ला सकते हैं। लेकिन हम इसमें विश्वास नहीं करते। छात्रों से रूबरू होते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि मैं यहां अपने सामान्य वेशभूषा में नहीं आया इसके पीछे तर्क है। मैं अपनी बात रखूंगा लेकिन उससे ज्यादा मैं अपसे सुनना चाहता हूं, आपके मुद्दे क्या हैं और हम क्या कर सकते हैं।
आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समाज के विभिन्न वर्ग के प्रतिनिधियों से मिल रहे हैं और उनसे जुड़े मुद्दों को समझने की कोशिश कर रहे हैं। इसी क्रम में राहुल गांधी ने ‘अपनी बात, राहुल के साथ’ अभियान के तहत दिल्ली के एक चाइनीज रेस्टॉरेंट में पिछले दिनों दिल्ली, मुंबई में पढ़ने वाले छात्रों से डिनर पर मिले थें। राहुल के साथ इस मुलाकात में दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज, आईआईटी मुंबई, टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइन्स के छात्र शामिल हुए थे। तो वहीं 19 फरवरी को दिल्ली के आंध्र भवन में करीब एक दर्जन छोटे व्यापारियों के साथ दोपहर के खाने पर करीब एक घंटे चर्चा की।