संसद के बजट सत्र की शुरुआत आज यानी सोमवार से होने जा रही है। संसद का बजट सत्र 26 जुलाई तक चलेगा। पहले दो दिन 17 और 18 जून को लोकसभा के नव निर्वाचित सभी सदस्यों को शपथ दिलाई जाएगी। इसके लिए प्रोटेम स्पीकर के रूप में डॉ. वीरेंद्र कुमार का चयन कर लिया गया है। 19 जून को लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा। 20 को राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों को संबोधित करेंगे। पांच जुलाई को सरकार अपना पूर्ण बजट पेश करेगी।
एजेंडे में तीन तलाक बिल
17वीं लोकसभा (17th Lok Sabha) में केंद्रीय बजट के अलावा तीन तलाक बिल (Triple Talaq bill) को पारित कराना सरकार की पहली प्राथमिकता होगी। सरकार ने इस सत्र के लिए 10 अध्यादेशों की घोषणा की थी। इस सत्र में कुल 30 बैठकें निर्धारित हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पांच जुलाई को केंद्रीय बजट पेश करेंगी। इसके लिए चार जुलाई को बजट पूर्व आर्थिक सर्वे आएगा। यह पूर्ण बजट होगा क्योंकि सरकार ने इससे पहले अंतरिम बजट पेश किया था। इस बीच, संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी (Pralhad Joshi) ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने राष्ट्र के लिए मिलकर काम करने का मार्गदर्शन किया है। हम सभी उसी को हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं।
लोकसभा में कांग्रेस का नेता तय नहीं
अब तक लोकसभा में कांग्रेस के नेता का नाम नहीं तय हो पाया है। पहले यह चर्चाएं थीं कि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी लोकसभा में कांग्रेस का नेता सकते हैं, लेकिन पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने पर अड़े रहने के कारण इसकी संभावना कम है। 16वीं लोकसभा में पार्टी का नेतृत्व करने वाले वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे इस बार चुनाव हार गए हैं। ऐसे में अब पार्टी लोकसभा में नेता पद के लिए एक ऐसे सांसद की खोज में है जो गांधी परिवार का विश्वस्त होने के साथ हिंदी और अंग्रेजी में अपनी बात पुरजोर तरीके से रखने में सक्षम हो।
सर्वदलीय बैठक में विपक्ष ने दिखाए तेवर
संसद के सत्र के लिए रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी सर्वदलीय बैठक हुई जिसमें विपक्ष के साथ कामकाज को लेकर चर्चा की गई। हालांकि, विपक्ष ने कड़े तेवर दिखाते हुए महिला आरक्षण, किसान संकट, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर चर्चा की मांग कर सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की। साथ ही जनता से जुड़े प्रत्येक बिल पर सरकार को पूरा समर्थन देने का भरोसा दिया। बैठक में विपक्ष की ओर से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद, नेशनल कांफ्रेस के फारूक अब्दुल्ला और तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ-ब्रायन आदि मौजूद रहे।
राज्यसभा में सुचारू कामकाज बड़ी चुनौती
बड़े बहुमत के साथ दोबारा जीत कर सत्ता में आई मोदी सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती राज्यसभा के कामकाज को लेकर है, जहां उसके पास बहुमत नहीं है। ऐसे में विपक्षी दलों को साथ लेकर चलना उसकी बड़ी मजबूरी भी है। यही वजह है कि रविवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में सरकार का पूरा फोकस विपक्ष को साधने में रहा। वैसे भी सरकार ने जिस तरीके से संसद में लंबित अहम बिलों को पास कराने को लेकर रुचि दिखाई है, उससे साफ है कि विपक्ष को भी पूरा तवज्जो देते ही आगे बढ़ेगी।
जम्मू-कश्मीर में जल्द चुनाव कराने की मांग
सर्वदलीय बैठक में विपक्ष ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव जल्द कराने की मांग की। कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेस दोनों ने यह मुद्दा उठाया और सरकार से पहल करने को कहा। हालांकि अभी वहां राष्ट्रपति शासन लगे पर होने पर गुलाम नबी आजाद ने कहा कि राष्ट्रपति शासन में भी चुनाव हो सकता है। सरकार को इस दिशा में गंभीरता से विचार करना चाहिए। जब संसदीय चुनाव हो सकते हैं तो विधानसभा चुनाव क्यों नहीं कराए जा सकते। पिछले सप्ताह कैबिनेट ने तीन जुलाई से अगले छह महीने तक राज्य में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने की मंजूरी दे दी है।