अन्तर्राष्ट्रीय

अमेरिका से छह खरब के हथियार खरीदेगा भारत, देश की सामरिक शक्ति में होगी बढ़ोतरी

नई दिल्ली : भारत देश की शक्ति में इजाफा करने के लिए अमेरिका सहित अन्य देशों से काफी हथियार खरीद चुका है। सूत्रों से मिली जानकारी के अब भारत अमरीका से लॉन्ग रेंज मेरिटाइम पेट्रोल एयरक्राफ्ट पी-8आई आदि खरीदेगा। साल 2007 से अब तक भारत-अमेरिका के साथ 17 बिलियन डॉलर के सौदे कर चुका है। भारत अगले दो-तीन सालों में अमेरिका के साथ 10 बिलियन डॉलर यानी छह खरब का रक्षा सौद करने वाला है। यह सौदा ऐसे समय पर किया जा रहा है जब दोनों देशों के बीच व्यापार और इमिग्रेशन को लेकर चिंता जारी है। अमेरिका के साथ यह रक्षा सौदा विदेशी सैन्य बिक्री कार्यक्रम के तहत किए जाएंगे। इसके अतंर्गत भारत अमेरिका से लॉन्ग रेंज मेरिटाइम पेट्रोल एयरक्राफ्ट पी-8आई खरीदेगा। इससे पहले भी भारत अमेरिका से यह एयरक्राफ्ट खरीद चुका है। रक्षा मंत्रालय की एक समिति पिछले हफ्ते ही पी-8आई एयरक्राफ्ट को खरीदने की मंजूरी दे चुकी है। अब इसे मंजूरी के लिए रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) के पास अगस्त में भेजा जाएगा। इस परिषद की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे। भारत द्वारा पहले से खरीदे 12 पी-8आई विमान के मुकाबले यह विमान ज्यादा एडवांस होंगे। भारतीय नौसेना ने बोइंग द्वारा निर्मित इन विमानों को साल 2013 में शामिल किया था। सेंसर, हारपून ब्लॉक-2 मिसाइल, एमके-54 लाइट टॉरपीड और रॉकेट से लैस पी-8आई विमान अपने दुश्मन की सबमरीन को डिटेक्ट करके खत्म कर सकता है। भारत ने इस विमानों के लिए साल 2009 में सौदा किया था। नौसेना के पास इस समय आठ ऐसे विमान हैं। बाकी के चार विमान जुलाई 2021-22 तक नौसेना को मिल जाएंगे। नौसेना एक दर्जन से ज्यादा पी-8आई विमान का खरीदना चाहती थी लेकिन अमेरिका से 2.5 अरब डॉलर के 30 सशस्त्र सी गार्जियन (प्रीडेटर-बी) ड्रोन की खरीद के बाद 10 विमानों के लिए वह सहमत हुई। इसमें से नौसेना, वायुसेना और भारतीय सेना को 10-10 विमान मिलेंगे। इन हंटर-किलर ड्रोन्स का मामला डीएसी के पास भेजा जा चुका है। इसके अलावा 24 नेवल मल्टी-रोल एमएच60 रोमियो हेलिकॉप्टर (2.6 बिलियन डॉलर), दिल्ली के ऊपर शील्ड के लिए नेशनल एडवांस सर्वेस टू एयर मिसाइल सिस्टम-2 (लगभग एक बिलियन डॉलर) और छह अपाचे हेलिकॉप्टर (930 मिलियन डॉलर) के सौदे अमेरिका के साथ किए जाएंगे। साल 2007 से अब तक भारत ने अमेरिका के साथ 17 बिलियन डॉलर का सौदा किया है। दोनों देश कई मोर्चों पर अपनी रणनीतिक साझेदारी का विस्तार कर रहे हैं। इसके बावजूद भारत काट्सा के तहत वित्तिय खतरों का सामना कर रहा है। ट्रंप प्रशासन ने भारत के रूस के साथ अक्तूबर 2018 में किए एस-400 ट्रायम्फ मिसाइल सिस्टम का विरोध किया था। यह रक्षा सौदा 5.43 बिलियन डॉलर का है। इसके बाद भारत ने मार्च 2019 में भारत ने परमाणु क्षमता वाली हमलावर पनडुब्बी अकुला-1 को 10 साल के लिए पट्टे पर लेने के लिए रूस के साथ तीन अरब डॉलर का समझौता किया था। काट्सा के तहत भारत को अमेरिकी प्रतिबंधों से छूट मिलती है या नहीं इसका पता मंगलवार को चल जाएगा जब अमेरिका के विदेश सचिव माइक पॉम्पियो भारत आएंगे।

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