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हर बच्चा बदलाव का दूत बन सकता है : शीना चौहान

मुम्बई : अभिनेत्री शीना चौहान हर बच्चे को बदलाव का दूत बनाने के उद्देश्य से स्कूलों में मानवाधिकार शिक्षा को शामिल करवाने के लिए प्रयासरत हैं। चौहान ने युवाओं को मानव अधिकारों के बारे में शिक्षित करने के लिए एक गैर-लाभकारी संस्था यूथ फॉर ह्यूमन राईट्स इंटरनेशनल के साथ हाथ मिलाया है। वह यूनाईटेड नेशंस यूनिवर्सल डिक्लेरेशन ऑफ ह्यूमन राईट्स- मानव अधिकारों पर ऐतिहासिक दस्तावेज, को स्कूल के पाठ्यक्रम में विषय के तौर पर शामिल कराना चाहती हैं।अभिनेत्री ने कहा, अगर हम हर बच्चे को मानवाधिकारों के बारे में पढ़ाएंगे तो वे भी बदलाव के दूत बन सकते हैं।भेदभाव, यौन दुर्व्यवहार, घरेलू हिंसा, बाल श्रम, शिक्षा से वंचित होने वाली लड़कियों और बाल विवाह सहित मानवाधिकारों के हनन पर चौहान की नजर है। उन्होंने कहा, स्कूली दिनों के दौरान मैंने अपने आसपास मानवाधिकार का उल्लंघन होते देखा है। मैंने कई महिलाओं को काम करने के अधिकार, शिक्षा के अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार और जीवन के अधिकार से वंचित देखा। 16वें वार्षिक इंटरनेशनल ह्यूमन राईट्स समिट में शामिल होने के लिए न्यूयॉर्क के लिए उड़ान भरने से पहले चौहान ने कहा, सबसे बुरा तो नवजात शिशुओं को मारना था, सिर्फ इसलिए क्योंकि वे लड़कियां थीं। ऐसी परिस्थितियों ने ही मुझे मानवाधिकारों के दुरुपयोग के इस माहौल को बदलने का उद्देश्य दिया।वहीं अगर काम की बात करें तो चौहान ने नोबेल पुरस्कार विजेता रविंद्रनाथ टैगोर के उपन्यास पर आधारित, राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक बुद्धदेव दासगुप्ता की लघु फिल्मों मुक्ति और पत्रलेखा में भूमिका निभा रही हैं। पूर्व मिस कोलकाता शीना ने फ्रेजर स्कॉट द्वारा लिखी गई और निर्देशित लघु फिल्म टेकन फॉर ए राइड की शूटिंग पूरी कर ली है। शीना ने 2011 में मलयालम फिल्म द ट्रेन से अभिनय की शुरुआत की थी। उन्हें दुबई और शंघाई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में मोस्टोफा सरवर फारूकी की एंट स्टोरी के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था। यह फिल्म हाल ही में नेटफ्लिक्स पर प्रदर्शित हुई।

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