ज्ञान भंडार

‘आरएसएस के बताए रास्ते पर चल रहे हैं पीएम नरेंद्र मोदी’

khurshid-mahmood-kasuri-561b30754263c_exlstस्तक टाइम्स/एजेंसी हिमाचल प्रदेश :  पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी ने कसौली में खुशवंत सिंह लिटफेस्ट के तीसरे एवं अंतिम दिन रविवार को अपनी पुस्तक ‘नाइदर ए हाक नार ए डव’ का पुनर्विमोचन किया। संशोधित किताब में प्रधानमंत्री मोदी पर आएसएस को लेकर की गई टिप्पणी को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इसी के चलते मुंबई में होने वाले कसूरी के कार्यक्रम को शिवसेना ने न होने की धमकी दी है।

किताब पर चर्चा के दौरान एक सवाल के जवाब में कसूरी ने कहा कि आरएसएस के दिशा-निर्देशों के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगे का रास्ता बना रहे हैं। इतनी कुशलता से सब कुछ हो रहा है कि आने वाले समय में भारत में सेक्युलरिज्म का इतिहास ही बदल जाए। उन्होंने कहा कि दोनों तरफ के सैनिकों पर अत्याचार हो रहे हैं। सीमाओं पर गोलीबारी से विपरीत असर पड़ रहा है।

पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी ने कसौली में खुशवंत सिंह लिटफेस्ट के तीसरे एवं अंतिम दिन रविवार को अपनी पुस्तक ‘नाइदर ए हाक नार ए डव’ का पुनर्विमोचन किया। संशोधित किताब में प्रधानमंत्री मोदी पर आएसएस को लेकर की गई टिप्पणी को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इसी के चलते मुंबई में होने वाले कसूरी के कार्यक्रम को शिवसेना ने न होने की धमकी दी है।

किताब पर चर्चा के दौरान एक सवाल के जवाब में कसूरी ने कहा कि आरएसएस के दिशा-निर्देशों के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगे का रास्ता बना रहे हैं। इतनी कुशलता से सब कुछ हो रहा है कि आने वाले समय में भारत में सेक्युलरिज्म का इतिहास ही बदल जाए। उन्होंने कहा कि दोनों तरफ के सैनिकों पर अत्याचार हो रहे हैं। सीमाओं पर गोलीबारी से विपरीत असर पड़ रहा है।

कसूरी वर्ष 2002 से 2007 के बीच पाकिस्तान के विदेश मंत्री रहे हैं। किताब में दोनों देशों के बीच शांति बनाए रखने के लिए उन्होंने कई रास्ते सुझाए हैं। 850 पन्नों की किताब में शांति प्रक्रिया को बढ़ाने में पाकिस्तान और भारत किस तरह से योगदान करें, इसका जिक्र है। यह कश्मीर मुद्दे के अलावा पाकिस्तान, अमेरिका, अफगानिस्तान और भारत के पड़ोसी देशों के रिश्तों को एक विश्लेषण प्रदान करता है।

महत्वपूर्ण बात है कि विदेश नीति मामलों पर राजनीतिक विभाजन के दूसरे पक्ष को भी उन्होंने बखूबी बताया है। इसमें युद्ध के बजाय अन्य शांतिप्रिय रास्तों पर चलने का उन्होंने आह्वान किया है। इसमें कश्मीर पर न तो बाज और न ही कबूतर की दृष्टि रखने को कहा है। 

कारगिल युद्ध के दौरान थल सेनाध्यक्ष रहे जनरल वीपी मलिक ने रविवार को खुशवंत सिंह लिटफेस्ट में अपनी किताब इंडिया मिलिट्री कनफ्लिक्ट एंड डिप्लोमेसी पर चर्चा के दौरान कहा कि कश्मीर हमारा है और हमारा ही रहेगा। उन्होंने कहा कि कारगिल जैसी नौबत आई तो मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। भारत में डिफेंस और सिक्योरिटी पर खर्च होने वाला बजट सार्वजनिक होना चाहिए।

सुरक्षा का बजट कहां और कब खर्चा जा रहा है, इसका भारत की जनता को पता होना चाहिए। डिफेंस और सुरक्षा मुद्दों को हर कोई जाने इसलिए उन्होंने इंडिया मिलिट्री कनफ्लिक्ट एंड डिप्लोमेसी किताब लिखी है। उन्होंने बताया की देश में रक्षा बजट 2.46 हजार करोड़ है। जो जीडीपी का 1.8 प्रतिशत है।

पाकिस्तान के पूर्व विदेशमंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों के बीच शिखर वार्ता बिना ‘उचित तैयारियों’ के नहीं होनी चाहिए और उफा के बाद आए गतिरोध को भंग करने का एकमात्र रास्ता पर्दे के पीछे की कूटनीति होनी चाहिए।

कसूरी ने कहा कि जिस तरह दोनों देश 2004 और 2007 के बीच खुफिया वार्ता के जरिये कश्मीर मसले हल ढूंढने की कोशिश कर रहे थे, उसी तरह उन्हें खुफिया वार्ता संचालित करनी चाहिए। पाकिस्तान के पूर्व विदेशमंत्री ने कहा कि भारत और पाकिस्तान दोनों को अपने तल्ख रिश्तों में सुधार के लिए परस्पर वैमनस्य दूर करना चाहिए।

कसूरी ने दावा किया कि तकरीबन आठ साल पहले पर्दे के पीछे की कूटनीति से कश्मीर के स्थायी हल का रास्ता लगभग निकल चुका था। इस हल को पाकिस्तानी सेना और आईएसआई का अनुमोदन था।

 

Related Articles

Back to top button