सोमवार के दिन इस तरह करें शिव जी की पूजा, होगी मनोवांछित फल की प्राप्ती…
हिन्दू धर्म में सोमवार का दिन शिव जी को समर्पित हैं। लिंग के दर्शन को स्वयं महादेव का दर्शन माना जाता है और इसी मान्यता के चलते भक्त शिवलिंग को मंदिरों में और घरों में स्थापित कर उसकी पूजा अर्चना करते हैं। शिवशंकर की पूजा-अर्चना से कई जन्मों का फल प्राप्त होता है। यदि विधि विधान से पूजन किया जाए तो निश्चित ही मनोवांछित फल प्राप्त होता है। आइए जानते हैं कि शिव पूजन में अर्पण किए जाने वाली एक अत्यंत महत्वपूर्ण वस्तु और सिद्ध पूजन विधि के बारे में…
-बिल्व पत्र शंकर जी को बहुत प्रिय हैं, बिल्व अर्पण करने पर शिवजी अत्यंत प्रसन्न होते हैं और मनमांगा फल प्रदान करते हैं। लेकिन प्राचीन शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव पर अर्पित करने हेतु बिल्व पत्र तोड़ने से पहले एक विशेष मंत्र का उच्चारण कर बिल्व वृक्ष को श्रद्धापूर्वक प्रणाम करना चाहिए, उसके बाद ही बिल्व पत्र तोड़ने चाहिए। ऐसा करने से शिवजी बिल्व को सहर्ष स्वीकार करते हैं।
तोड़ने का मंत्र-
अमृतोद्धव श्रीवृक्ष महादेवप्रिय: सदा।
गृहामि तव पत्रणि शिवपूजार्थमादरात्।।
यह समय निषिद्ध है बिल्ब पत्र तोड़ने के लिए…
हमेशा ध्यान रखें कि चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथियों को, संक्रांति के समय और सोमवार को बिल्व पत्र कभी नहीं तोड़ने चाहिए। यदि पूजन करना ही हो एक दिन पहले का रखा हुआ बिल्व पत्र चढ़ाया जा सकता है।
इसके अलावा बिल्व पत्र, धतूरा और पत्ते जैसे उगते हैं, वैसे ही इन्हें भगवान पर चढ़ाना चाहिए। उत्पन्न होते समय इनका मुख ऊपर की ओर होता है, अत: चढ़ाते समय इनका मुख ऊपर की ओर ही रखना चाहिए।
कैसे चढ़ाएं दूर्वा और तुलसी शिवजी को
दूर्वा एवं तुलसी दल को अपनी ओर तथा बिल्व पत्र नीचे मुख पर चढ़ाना चाहिए। दाहिने हाथ की हथेली को सीधी करके मध्यमा, अनामिका और अंगूठे की सहायता से फूल एवं बिल्व पत्र चढ़ाने चाहिए। भगवान शिव पर चढ़े हुए पुष्पों एवं बिल्व पत्रों को अंगूठे और तर्जनी की सहायता से उतारें।
जल से अभिषेक:-
– हर तरह के दुखों से छुटकारा पाने के लिए भगवान शिव का जल से अभिषेक करें
– भगवान शिव के बाल स्वरूप का मानसिक ध्यान करें
– ताम्बे के पात्र में ‘शुद्ध जल’ भर कर पात्र पर कुमकुम का तिलक करें
– ॐ इन्द्राय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें
– पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय” का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें
– शिवलिंग पर जल की पतली धार बनाते हुए रुद्राभिषेक करें
– अभिषेक करेत हुए ॐ तं त्रिलोकीनाथाय स्वाहा मंत्र का जाप करें
– शिवलिंग को वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें