165 साल बाद मलमास में अद्भुत संयोग
18 सितम्बर से 16 अक्टूबर तक रहेगा मलमास, 17 अक्टूबर से होगी नवरात्रि की शुरुआत
ज्योतिष : शास्त्रों के अनुसार 2020 में 18 सितम्बर से 16 अक्टूबर तक की अवधि में मलमास रहेगा, जिसे हम अधिकमास या पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जानते हैं। सबसे पहले ज्योतिषीय गणना से इसे समझते हैं कि आखिर अधिक मास क्या है? जैसा कि आप सभी जानते हैं कि सूर्य वर्ष 365 दिन और लगभग 6 घंटे का होता है, जबकि चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है। इन दोनों वर्षों के बीच 11 दिनों का अंतर होता है और यही अंतर तीन साल में एक महीने के बराबर हो जाता है। इसी अंतर को दूर करने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास जुड़ जाता है और इसे ही मलमास अथवा अधिक मास कहा जाता है।
प्रत्येक राशि, नक्षत्र, चैत्र आदि बारह मासों के सभी के स्वामी है, परंतु मलमास का कोई स्वामी नहीं है। इसलिए देव कार्य, शुभ कार्य एवं पितृ कार्य इस मास में वर्जित माने गए हैं। इसी कारण सभी ओर उसकी निंदा होने लगी, जिससे दुखी होकर स्वयं मलमास बहुत उदास हुए। मलमास को सभी ने असहाय, निंदक, अपूज्य तथा संक्रांति से वर्जित कहकर लज्जित किया। दुखी होकर मलमास भगवान विष्णु के पास वैकुण्ठ लोक में पहुंचा। मलमास बोला, हे प्रभु, मैं सभी से तिरस्कृत होकर यहां आया हूं। तब श्री ने हरि मलमास का हाथ पकड़ लिया और वरदान स्वरुप मलमास को अपना नाम ‘पुरुषोत्तम’ दिया।
शास्त्रों के अनुसार इस माह में व्रत-उपवास, दान-पूजा, यज्ञ-हवन और ध्यान करने से मनुष्य के सारे पाप कर्मों का क्षय होकर उन्हें कई गुना पुण्य फल प्राप्त होता है। इस माह आपके द्वारा दान दिया गया, एक रुपया भी आपको सौ गुना फल देता है। इसलिए अधिक मास के महत्व को ध्यान में रखकर इस माह दान-पुण्य देने का बहुत महत्व है। इस माह में श्रीकृष्ण कथा श्रवण, श्रीभागवत कथा, श्रीराम कथा श्रवण, श्रीविष्णु सहस्रनाम, पुरुषसूक्त, श्री सूक्त, हरिवंश पुराण, तीर्थ स्थलों पर स्नान या गुरू द्वारा प्रदत्त मंत्र का नियमित जप करना चाहिए।
मलमास में शुभ कार्य, मांगलिक कार्य का आरंभ नहीं करना चाहिए केवल निष्काम भाव से धार्मिक कार्यों को करना चाहिए। पुरुषोत्तम मास में दीपदान, वस्त्र एवं श्रीमद् भागवत कथा ग्रंथ दान का विषेष महत्व है। इस मास में दीपदान करने से धन-वैभव में वृद्धि होने के साथ आपको पुण्य लाभ भी प्राप्त होता है। पुरुषोत्तम मास में शंख पूजन का विषेष महत्व है, क्योंकि शंख को लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है। इसी वजह से जो व्यक्ति नियमित रूप से शंख की पूजा करता है, उसके घर में कभी धन की कमी नहीं रहती।
पुरुषोत्तम मास में तिथि अनुसार इन वस्तुओं का कर सकते हैं दान
— प्रतिपदा के दिन घी अथवा चंडी का दान करें।
— द्वितीया के दिन कांसा अथवा स्वर्ण का दान करें।
— तृतीया के दिन चना या चने की दाल का दान करें।
— चतुर्थी के दिन खारक अथवा छुआरा का दान करना लाभदायी होता है।
— पंचमी के दिन गुड एवं अरहर की दाल दान में दें।
— षष्टी के दिन अष्ट गंध का दान करें।
— सप्तमी-अष्टमी के दिन रक्त चंदन का दान करना उचित होता है।
— नवमी के दिन केसर का दान करें।
— दशमी के दिन कस्तुरी का दान दें।
— एकादशी के दिन गोरोचन या गौलोचन का दान करें।
— द्वादशी के दिन शंख का दान फलदाई है।
— त्रयोदशी के दिन घंटाल या घंटी का दान करें।
— चतुर्दशी के दिन मोती या मोती की माला दान में दें।
— पूर्णिमा के दिन माणिक तथा रत्नों का दान करें।