ज्ञान भंडार

नवरात्रि की शुरुआत 17 अक्टूबर से, आखिर क्या है नौ देवियों की उत्पत्ति की कहानी

ज्योतिष : इस वर्ष यानि 2020 में अधिक पुरुषोत्तम मास के कारण इस बार नवरात्र एक माह देरी से शुरू हो रहे हैं। इस बार शक्ति की आराधना का यह पर्व 17 अक्टूबर, शनिवार से शुरू होकर 25 अक्टूबर, रविवार चक चलेंगे। इस बार की नवरात्र को लेकर एक और अहम बात यह है कि मां घोड़े को अपना वाहन बनाकर धरती पर आएंगी। ज्योतिषाचार्य इसे अच्छे संकेत नहीं मान रहे हैं। उनका कहना है कि घोड़े पर आने से पड़ोसी देशों से युद्ध, सत्ता में उथल-पुथल और साथ ही रोग और शोक फैलता है।

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एक बार देवी के पास असुरेश्वर शुंभ और निशुंभ के दूत पहुंचे और कहने लगे, ‘मान जाओ देवी, क्या तुम जानती नहीं कि दोनों ही दैत्य महापराक्रमी हैं। उनके पास एक ऐरावत हाथी, उच्चैः श्रवा घोड़ा और पारिजात वृक्ष भी है जो उन्होंने इंद्र से छीन लिया है। उनके पास सब कुछ है। बस एक ही चीज की कमी है और वह है तुम्हारे जैसा स्त्री रत्न।’ यह सुनकर मां चंडिका मुस्कुराईं और बोलीं, बात तुम्हारी सही है, पर मैनें प्रतिज्ञा की है जो युद्ध में मुझे पराजित करेगा, वही मेरा पति बन सकता है। तो उनसे कहो कि मेरे साथ युद्ध करें।

दूत ने जब बात दैत्यराज को यह बात बताई तो वह क्रोधित हो गए। दैत्यराज शुंभ ने अपने सेनापति धूमलोचन से कहा कि, ‘साठ हजार असुरों की सेना लेकर आओ। धूमलोचन बलशाली सेना और अस्त्र-शस्त्र लेकर निकला और उसने देवी को ललकारा, चलो मेरे साथ। नहीं तो मैं तु्म्हे बलपूर्वक ले जाउंगा।’

धूमलोचन असुर हथियार लेकर देवी को ओर दौड़ा। तब देवी अंबिका ने केवल ‘हूं’ शब्द का उच्चारण कर उसे भस्म कर दिया। फिर सारी सेना ने हथियारों से देवी पर धाबा बोल दिया, पर क्षण भर में ही देवी ने पराक्रमी सेना का सफाया कर दिया। धूमलोचन असुर के वध के बाद असुरेश्वर ने चंड-मुंड नाम के पराक्रमी राक्षसों को लाखों की संख्या में भेजा, पर देवी ने देखते ही देखते उन्हें भी हरा दिया। इसके बाद शुंभ-निशुंभ ने क्रोध में आकर सभी दैत्य राजाओं के पास संदेश भेजा कि अपनी समस्त सेना के साथ लड़ाई के मैदान में पहुंचे।

स्वयं शुंभ एवं निशुंभ भी विराट सेना लेकर पहुंचे, तो देवताओं को चिंता हुई, वे जानते थे कि उनके लिए असुरों को पराजित करना संभव नहीं है। यह काम तो स्त्री शक्ति ही कर सकती है। इसलिए ब्रह्मा, विष्णु, शिव आदि सभी ने अपने-अपने शरीर से शक्ति को निकाला, और इसी तहर अन्य देवताओं ने अपनी शक्तियां दीं इन शक्तियों से नौ देवियां प्रकट हुईं। जो देवी के पास पहुंचीं। इसके बाद भयंकर युद्ध हुआ। महाप्रतापी शुंभ-निशुंभ का अंत हो गया। और सभी नौ देवियां मां देवी में समाहित हो गईं, और इस तरह देवी का नाम मां दुर्गा पड़ा।

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