उत्तर प्रदेश में बनाये गये 5146 गो आश्रय स्थल, पिछले साल लागू की गयी थी नीति
लखनऊ : योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद राज्य में 5146 गो आश्रय स्थल बनाये गये हैं। आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि चार हजार 452 अस्थायी गो वंश स्थल,148 कान्हा गोशाला, 402 कांजी हाउस और 144 वृहद गो संरक्षण केन्द्र हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर राज्य में निराश्रित/बेसहारा गोवंश को संरक्षित करने के लिये पिछले साल 2 जनवरी से इस नीति को लागू किया गया था।
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गोवंश की सुरक्षा के लिये शेड का निर्माण कराया गया है। साथ ही, सुरक्षा, पीने का पानी, प्रकाश, पशु चिकित्सा, हरा चारा उत्पादन आदि कार्य भी कराए जा रहे हैं। गो-आश्रय स्थल राज्य के ग्रामीण व शहरी इलाकों में स्थापित किए गए हैं। गो-आश्रय स्थलों में 5,19,816 गोवंश संरक्षित हैं। गोवंश की पहचान के लिये उन्हें यूआईडी इयर टैग लगाया गया है। उनके भरण-पोषण के लिये विभिन्न गो-आश्रय स्थलों में 9.80 लाख कुन्तल भूसा एकत्र कर संरक्षित किया गया है। वित्तीय वर्ष 2018-19 से अभी तक गोवंश के भरण-पोषण के लिये 380.61 करोड़ रुपए की धनराशि उपलब्ध करायी जा चुकी है।
मुख्यमंत्री निराश्रित/बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना के तहत अब तक 32,242 इच्छुक किसानों को 62,314 गोवंश देकर लाभान्वित किया गया है। साथ ही, राष्ट्रीय पोषण मिशन के तहत 519 कुपोषित परिवारों को गोवंश आश्रय स्थलों से गोवंश उपलब्ध कराया गया है। गो प्रवक्ता ने कहा कि प्रदेश में अस्थायी गोवंश आश्रय स्थलों से पृथक निराश्रित गोवंश को स्थायी रूप से सरंक्षित किए जाने एवं आश्रय केन्द्रों को स्वावलम्बी बनाने के उद्देश्य से प्रदेश में 1.20 करोड़ रुपए प्रति केन्द्र की दर से कुल स्वीकृत 187 वृहद गो-संरक्षण केन्द्रों में से 109 का निर्माण पूर्ण कराकर क्रियाशील बनाया गया है। शेष वृहद गो-संरक्षण केन्द्रों का निर्माण कार्य प्रगति पर है। इसके साथ ही, बुन्देलखण्ड के 07 जिलों में 30 लाख रुपए प्रति पशु आश्रय की दर से 35 पशु-आश्रय गृह का निर्माण कार्य पूर्ण कराकर क्रियाशील किया गया है। इन कुल 144 स्थायी गो-आश्रय स्थलों में 46,215 गोवंश को संरक्षित भी किया जा चुका है।
प्रवक्ता ने बताया कि गो-आश्रय स्थलों को स्वावलम्बी बनाए जाने के लिये गोबर, गोमूत्र के विविध प्रयोग एवं अन्य कार्यक्रम के तहत मनरेगा से गो-आश्रय स्थलों पर कुल 3,112 परियोजनाएं संचालित हैं, जिसके द्वारा 4,10,644 मानव दिवस का सृजन किया गया है। 1,019 गो-आश्रय स्थलों पर जैविक खाद तैयार की जा रही है। प्रवक्ता ने कहा कि गोवंश के संरक्षण से जहां निराश्रित/बेसहारा गोवंश को आश्रय प्राप्त हुआ, वहीं कृषकों को होने वाली फसल हानि से भी बचाव हो रहा है।
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