नई दिल्ली: नेशनल हाई-स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) ने कहा है कि रेलवे प्रस्तावित दिल्ली-वाराणसी हाईस्पीड रेल कॉरिडोर की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के लिए हेलीकॉप्टर पर लगाए गए लेजर युक्त उपकरणों का इस्तेमाल करते हुए लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग सर्वे (लिडार) तकनीक अपनाएगा।
नेशनल हाई-स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) की प्रवक्ता सुषमा गौड़ ने जारी बयान में कहा, परियोजना मार्ग का जमीनी सर्वेक्षण किसी भी रेखिक अवसंरचना परियोजना में सबसे महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इससे आसपास के क्षेत्रों की सटीक जानकारी मिल जाती है। इस तकनीक में सटीक सर्वेक्षण डाटा प्राप्त करने के लिए लेजर डाटा जीपीएस डाटा फ्लाइट पैरामीटर और वास्तविक तस्वीरों का उपयोग होता है।
पहली बार मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना में हुआ था लिडार का इस्तेमाल इसकी सटीकता के कारण भारत में किसी भी रेलवे परियोजना के लिए एरियल लिडार तकनीक का पहली बार इस्तेमाल मुंबई-अहमदाबाद हाईस्पीड रेल कॉरिडोर में किया गया था। एरियल लिडार से जमीनी सर्वेक्षण में केवल 12 सप्ताह लगे जबकि पारंपरिक तरीकों से इस काम में 10 से 12 महीने का समय लगता है।
बयान में कहा गया है कि यह परियोजना काफी बड़ी है और डीवीएचएसआर कॉरिडोर की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट प्रस्तुत करने की समय सीमा काफी कम है, इसलिए एरियल लिडार तकनीक का उपयोग करके जमीनी सर्वेक्षण शुरू हो चुका है।
जमीन पर संबंधित जगहों को चिन्हित किया जा चुका है और हेलीकॉप्टर पर लगे उपकरणों से डाटा एकत्र करने का काम चरणबद्ध तरीके से 13 दिसम्बर से शुरू होगा। रक्षा मंत्रालय से हेलीकॉप्टर उड़ाने की अनुमति मिल गई है और धीमान व उपकरणों का निरीक्षण किया जा रहा है।
प्रस्तावित दिल्ली वाराणसी मार्ग पर घनी आबादी वाले शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों, राजमार्ग, सड़क, घाट, नदियां, हरे भरे खेत आदि हैं जिससे यहां सर्वेक्षण अधिक चुनौतीपूर्ण है।
रेल मंत्रालय द्वारा एनएचएसआरसीएल को दिल्ली-वाराणसी एचएसआर कॉरिडोर की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने का काम सौंपा गया है। स्टेशनों का निर्धारण सरकार के परामर्श से किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली-वाराणसी हाईस्पीड ट्रेन दिल्ली में सराय काले खां से चलेगी। गलियारे की संभावित लंबाई 800 किमी होगी। इस मार्ग पर ट्रेनों की रफ्तार 320 किमी प्रति घंटा होगी। इसपर 1.21 लाख करोड़ रुपये लागत आएगी।
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