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राजस्थान में वसुंधरा राजे के विरोधी रहे तिवाड़ी की भाजपा में ‘घर वापसी’

राजस्थान में वसुंधरा राजे के विरोधी रहे तिवाड़ी की भाजपा में ‘घर वापसी’
राजस्थान में वसुंधरा राजे के विरोधी रहे तिवाड़ी की भाजपा में ‘घर वापसी’

राजस्थान: राजस्थान की वसंधुरा सरकार में मंत्री रहे भाजपा के पूर्व वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवाड़ी की शनिवार को ‘घर वापसी’ हो गई। केन्द्रीय आलाकमान के निर्देशों पर भाजपा मुख्यालय में शनिवार दोपहर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां ने उन्हें पार्टी की सदस्यता ग्रहण करवाई।

वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा छोडक़र राहुल गांधी की मौजूदगी में कांग्रेस ज्वाइन करने वाले तिवाड़ी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के विरोधी रहे हैं। राजे के विरोध के चलते ही उन्होंने न केवल भाजपा का दामन छोड़ा, बल्कि नई पार्टी भारतवाहिनी बनाई थी।

इसी पार्टी से उन्होंने साल 2018 में सांगानेर विधानसभा सीट से चुनाव भी लड़ा था, लेकिन वे अपनी जमानत तक नहीं बचा सके थे। लोकसभा चुनाव से पहले मार्च 2019 में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने जयपुर में एक रोड शो किया था। इसके बाद जयपुर के रामलीला मैदान में आयोजित एक जनसभा में घनश्याम तिवाड़ी ने कांग्रेस ज्वाइन की थी। उनके साथ भाजपा नेता रह चुके सुरेंद्र गोयल (पूर्व कैबिनेट मंत्री) और जनार्दन गहलोत (पूर्व कैबिनेट मंत्री) भी कांग्रेस से जुड़े थे।


तिवाड़ी भाजपा के दिग्गज नेताओं में शामिल रहे हैं। पार्टी में कई अहम पदों पर उन्होंने काम किया है। वे 6 बार चुनाव जीतकर राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहे हैं। तिवाड़ी 1980 में पहली बार सीकर से विधायक बने। इसके बाद 1985 से 1989 तक सीकर से विधायक रहे। 1993 से 1998 तक विधानसभा क्षेत्र चौमूं से विधायक बने। वे जुलाई 1998 से नवंबर 1998 तक भैरोंसिंह शेखावत सरकार में ऊर्जा मंत्री भी रह चुके हैं। उन्होंने दिसम्बर 2003 से 2007 तक वसुंधरा राजे सरकार में शिक्षा मंत्री की जिम्मेदारी संभाली। तिवाड़ी कांग्रेस में अलग-थलग पड़े थे।

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न तो वो कांग्रेस के किसी कार्यक्रम में दिखाई देते थे और न ही किसी धरने-प्रदर्शनों में शिरकत करते नजर आते थे। लोकसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस पार्टी के स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल किया गया था, तिवाड़ी ने कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए प्रचार भी किया था।

अलग-अलग विचारधारा के बावजूद घनश्याम तिवाड़ी के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से बेहद नजदीकी रिश्ते थे। इसके बावजूद न तो तिवाड़ी को संगठन में कोई बड़ी जिम्मेदारी दी गई और न ही उन्हें राजनीतिक नियुक्तियों में कहीं एडजस्ट किया गया।

कांग्रेस में अपनी उपेक्षा से नाराज होकर ही तिवाड़ी ने दोबारा भाजपा का दामन थामने का फैसला किया। राजे के विरोध की वजह से तिवाड़ी की वापसी नहीं हो पा रही थी, लेकिन अब माना जा रहा है कि वसुंधरा विरोधी खेमा राजस्थान की राजनीति में मज़बूत हो गया है, तो उनके भाजपा में आने की राह खुल गई। उन्होंने इसके लिए पार्टी के केन्द्रीय नेतृत्व को पत्र लिखा था। इसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने तिवाड़ी को वापस पार्टी में शामिल करने के लिए कहा था।


प्रदेश भाजपा मुख्यालय में शनिवार को हुए कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष डॉ. पूनियां ने कहा कि कांग्रेस की रीति-नीति अलग है। इसी कारण पहली बार प्रदेश में सत्ता होने के बावजूद कांग्रेस को चुनावों में बढ़त नहीं मिली। दो साल पूरे होने से पहले ही कांग्रेस के प्रति मतदाताओं में नाराजगी और गुस्सा बढ़ रहा है।

उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व कांग्रेस नेताओं को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि अंर्तकलह उनके घर में है और वे तोहमत हम पर लगा रहे हैं कि हम उनकी सरकार गिराना चाहते है।


उन्होंने कहा कि यह सरकार अपने कर्मों की वजह से गिर जाएगी। इस मौके पर पार्टी में वापसी करने वाले तिवाड़ी ने कहा कि वे भाजपा के सच्चे सिपाही थे, हैं और आगे भी रहेंगे। कुछ मतभेदों के कारण पार्टी से अलग हुए थे, लेकिन उनकी विचारधारा भाजपा की ही रही।
पार्टी में जिम्मेदारी के सवाल पर तिवाड़ी ने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष पूनियां उन्हें जो भी जिम्मेदारी देंगे, वे पूरी शिद्दत के साथ उसे निभाने की कोशिश करेंगे।

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