नगर निगम और केआरएल कंपनी के बीच विवाद, 300 कर्मचारी हुए बेरोजगार
कोरोनाकाल में सफाई कर्मचारियों को मंत्रियों, नेताओं और संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया। सफाई कर्मचारियों को फ्रंटलाइन वॉरियर्स बताया गया। आज यही सफाई कर्मचारी आंदोलन की राह पर हैं। हरिद्वार नगर निगम द्वारा प्राइवेट कंपनी केआरएल को सफाई की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, लेकिन नगर निगम और केआरएल के बीच टकराव की स्थिति में 300 से ज्यादा सफाई कर्मचारी आंदोलन की राह पर हैं। कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि अगर इनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो वह आमरण अनशन करेंगे।
वहीं, केआरएल कंपनी के अधिकारी पैसा न बढ़ाए जाने पर कार्य न करने की बात कह रहे हैं। नगर निगम के सहायक नगर आयुक्त का कहना है कि मामले का समाधान किया जा रहा है। नगर निगम द्वारा सफाई व्यवस्था सुचारू रूप से कराने की व्यवस्था की जा रही है। मामले में कंपनी कोर्ट में गई है और कोर्ट तय करेगा कि कौन सही है और कौन गलत?
मामले में कर्मचारियों ने नगर निगम के अधिकारियों से मुलाकात की। अधिकारियों का कहना है कि कंपनी को पैसे दिए जा रहे हैं, लेकिन वह कार्य नहीं कर रही है। इसलिए उनको ब्लैक लिस्ट किया जा रहा है। इस कारण सभी कर्मचारी अधर में लटक गए हैं। क्योंकि न तो कंपनी उनसे कार्य करा रही है और न ही नगर निगम केआरएल कंपनी के कर्मचारियों को सफाई का कार्य कराने के लिए रख रहा है। कर्मचारियों का कहना है कि हम पांच दिन से धरने पर बैठे हैं।
मामले में हमारी वार्ता कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक से भी हुई। उनका भी कहना है कि जब कोई और सफाई का कार्य करने वाली प्राइवेट कंपनी को लगाया जाएगा, तब उसमें केआरएल कंपनी के कर्मचारियों को रखने की व्यवस्था की जाएगी।
केआरएल कंपनी के अधिकारी प्रमोद शर्मा का कहना है कि कंपनी द्वारा नगर निगम में लेटर दिया हुआ है कि पैसा बढ़ाया जाए। अगर पैसा नहीं बढ़ाया जाता है तो केआरएल कंपनी कार्य नहीं करेगी। कंपनी को काफी नुकसान हो रहा है।
हमारी नगर निगम से वार्ता चल रही है। उसके बाद ही इन कर्मचारियों को दोबारा नौकरी पर रखा जाएगा। रविवार तक पता चल जाएगा कि आगे क्या होना है? तकरीबन 300 कर्मचारी केआरएल कंपनी में कार्य करते हैं। कंपनी के कर्मचारियों को तभी पैसा मिल सकेगा, जब नगर निगम द्वारा कंपनी को पैसा बढ़ाकर दिया जाएगा।
हरिद्वार नगर निगम के सहायक नगर आयुक्त तनवीर सिंह मरवाह का कहना है कि निगम और केआरएल के बीच विवाद चल रहा है। उसका समाधान नहीं निकल पा रहा है। इसको देखते हुए नगर निगम द्वारा शहर भर में कूड़े को उठाने की खुद व्यवस्था की जा रही है। शहर में कई टीमें लगाई गई हैं।
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निरंतर कूड़ा उठाया जा रहा है। हमारे द्वारा निगम की गाड़ियों का यूज किया जा रहा है। सफाई व्यवस्था पांच से सात दिन में पूरी तरह से पटरी पर आ जाएगी। सहायक नगर आयुक्त ने पैसे के लेनदेन को लेकर कोई विवाद न होने की बात कही। उन्होंने कहा कि केआरएल कंपनी मामले को लेकर कोर्ट में चली गई है। अब कोर्ट ही बताएगा कौन सही है और कौन गलत है?
नगर निगम और केआरएल के बीच चल रहे विवाद का खामियाजा हरिद्वार की जनता और यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है, क्योंकि पूरे शहर में इस वक्त गंदगी का अंबार लगा है।
नगर निगम शहर भर में हो रही गंदगी को साफ करने में नाकाम साबित हो रहा है। अब देखना होगा कब तक नगर निगम और केआरएल के बीच का विवाद खत्म होता है या किसी और प्राइवेट कंपनी को सफाई व्यवस्था की जिम्मेदारी सौंपी जाती है।
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