जीवनशैली
spiritual : यह है श्री काल भैराव जी की चालीसा और आरती
॥ श्री भैरव चालीसा ॥
〰️〰️〰️〰️〰️〰️
दोहा
श्री गणपति गुरु गौरि पद प्रेम सहित धरि माथ ।
चालीसा वन्दन करौं श्री शिव भैरवनाथ ॥
- श्री भैरव संकट हरण मंगल करण कृपाल । श्याम वरण विकराल वपु लोचन लाल विशाल ॥
- जय जय श्री काली के लाला । जयति जयति काशी-कुतवाला ॥
- जयति बटुक-भैरव भय हारी । जयति काल-भैरव बलकारी ॥
- जयति नाथ-भैरव विख्याता । जयति सर्व-भैरव सुखदाता ॥
- भैरव रूप कियो शिव धारण । भव के भार उतारण कारण ॥
- भैरव रव सुनि ह्वै भय दूरी । सब विधि होय कामना पूरी ॥
- शेष महेश आदि गुण गायो । काशी-कोतवाल कहलायो ॥
- जटा जूट शिर चंद्र विराजत । बाला मुकुट बिजायठ साजत ॥
- कटि करधनी घूँघरू बाजत । दर्शन करत सकल भय भाजत ॥
- जीवन दान दास को दीन्ह्यो । कीन्ह्यो कृपा नाथ तब चीन्ह्यो ॥
- वसि रसना बनि सारद-काली । दीन्ह्यो वर राख्यो मम लाली ॥
- धन्य धन्य भैरव भय भंजन । जय मनरंजन खल दल भंजन ॥
- कर त्रिशूल डमरू शुचि कोड़ा । कृपा कटाक्श सुयश नहिं थोडा ॥
- जो भैरव निर्भय गुण गावत । अष्टसिद्धि नव निधि फल पावत ॥
- रूप विशाल कठिन दुख मोचन । क्रोध कराललाल दुहुँ लोचन ॥
- अगणित भूत प्रेत संग डोलत । बं बं बं शिव बं बं बोलत ॥
- रुद्रकाय काली के लाला । महा कालहू केहो काला ॥
- बटुक नाथ हो काल गँभीरा । श्वेत रक्त अरु श्याम शरीरा ॥
- करत नीनहूँ रूप प्रकाशा । भरत सुभक्तन कहँ शुभ आशा ॥
- रत्न जड़ित कंचन सिंहासन । व्याघ्र चर्म शुचि नर्म सुआनन ॥
- तुमहि जाइ काशिहिं जन ध्यावहिं । विश्वनाथ कहँ दर्शन पावहिं ॥
- जय प्रभु संहारक सुनन्द जय । जय उन्नतहर उमा नन्द जय ॥
- भीम त्रिलोचन स्वान साथ जय । वैजनाथ श्री जगतनाथ जय ॥
- महा भीम भीषण शरीर जय । रुद्र त्रयम्बक धीर वीर जय ॥
- अश्वनाथ जय प्रेतनाथ जय । स्वानारुढ़सयचंद्र नाथ जय ॥
- निमिष दिगंबर चक्रनाथ जय । गहत अनाथन नाथ हाथ जय ॥
- त्रेशलेश भूतेश चंद्र जय । क्रोध वत्स अमरेश नन्द जय ॥
- श्री वामन नकुलेश चण्ड जय । कृत्याऊ कीरति प्रचण्ड जय ॥
- रुद्र बटुक क्रोधेश कालधर । चक्र तुण्ड दश पाणिव्याल धर ॥
- करि मद पान शम्भु गुणगावत । चौंसठ योगिन संग नचावत ॥
- करत कृपा जन पर बहु ढंगा । काशी कोतवाल अड़बंगा ॥
- देयँ काल भैरव जब सोटा । नसै पाप मोटासे मोटा ॥
- जनकर निर्मल होय शरीरा । मिटै सकल संकट भव पीरा ॥
- श्री भैरव भूतोंके राजा । बाधा हरत करत शुभ काजा ॥
- ऐलादी के दुःख निवारयो । सदा कृपाकरि काज सम्हारयो ॥
- सुन्दर दास सहित अनुरागा । श्री दुर्वासा निकट प्रयागा ॥
- श्रीभैरव जी की जय लेख्यो । सकल कामना पूरण देख्यो ॥
- दोहाजय जय जय भैरव बटुक स्वामी संकट टार । कृपा दास पर कीजिए शंकर के अवतार ॥
आरती भैरव जी की
- जय भैरव देवा प्रभु जय भैरव देवा ।जय काली और गौरा देवी कृत सेवा ॥ जय॥
- तुम्ही पाप उद्धारक दुःख सिन्धु तारक।भक्तों के सुख कारक भीषण वपु धारक ॥ जय॥
- वाहन श्वान विराजत कर त्रिशूल धारी ।महिमा अमित तुम्हारी जय जय भयहारी ॥ जय॥
- तुम बिन सेवा देवा सफल नहीं होवे ।चौमुख दीपक दर्शन सबका दुःख खोवे ॥ जय॥
- तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी ।कृपा करिये भैरव करिये नहीं देरी ॥ जय॥
- पाव घूंघरु बाजत अरु डमरु डमकावत ।बटुकनाथ बन बालकजन मन हरषावत ॥ जय॥
- बटुकनाथ की आरती जो कोई नर गावे । कहे धरणीधर नर मनवांछित फल पावे ॥ जय॥
यह भी पढ़े:- spiritual : क्या आप जानते है भगवान शंकर के पूर्ण रूप है काल भैरव
देश दुनिया की ताजातरीन सच्ची और अच्छी खबरों को जानने के लिए बनें रहेंwww.dastaktimes.org के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए https://www.facebook.com/dastak.times.9 और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @TimesDastak पर क्लिक करें। साथ ही देश और प्रदेश की बड़ी और चुनिंदा खबरों के ‘न्यूज़ वीडियो’ आप देख सकते हैं हमारे youtube चैनल https://www.youtube.com/c/DastakTimes/videos पर। तो फिर बने रहिये www.dastaktimes.org के साथ और खुद को रखिये लेटेस्ट खबरों से अपडेटेड।