इस वर्ष संकल्प लें ऐसे कि जीवन संवर जाए
योगेश कुमार गोयल : नया साल आत्मसमीक्षा का अवसर होता है। प्रतिवर्ष हम नए वर्ष पर कुछ नए संकल्प लेते हैं, कुछ बुराईयों का त्याग करने का प्रण करते हैं, कुछ नई योजनाएं बनाते हैं और जब नया साल दस्तक देता है तो इन सभी बातों को स्मरण करना नहीं भूलते। चंद दिनों तक हमारी कोशिशें भी जारी रहती हैं कि हम इन सब बातों पर अमल करते हुए जीवन में बदलाव ला सकें पर कुछ ही दिनों में हम फिर पुराने ढर्रे पर लौट आते हैं अर्थात् हमारे सारे संकल्प, सारी योजनाएं धरी की धरी रह जाती हैं।
दरअसल हमारी सबसे बड़ी कमी यही होती है कि हम एक ही बार में अपने अंदर सारा बदलाव लाने की चेष्टा करते हैं जबकि जरूरत होती है सारी बातों को धीरे-धीरे जीवन में उतारने और अमल में लाने की। उदाहरण के रूप में यदि हम धूम्रपान के आदी हैं तो एक ही बार में धूम्रपान का त्याग करने की कोशिश करने के बजाय धूम्रपान की मात्रा में धीरे-धीरे कमी करते जाएं और इस सीमा तक पहुंच जाएं तो धूम्रपान का त्याग करना हमारे लिए कोई मुश्किल काम न रह जाए। इसी प्रकार अगर हम रोज प्रातः 7 बजे के करीब सोकर उठते हैं और संकल्प लेते हैं प्रातः 4 बजे उठने का तो हम दो-चार दिन भले ही मन मारकर 4 बजे उठ जाएं पर उसके बाद हमारा यह नियम टूट ही जाएगा। इसलिए एकदम से 4 बजे उठना शुरू करने के बजाय यदि हम उठने के समय में धीरे-धीरे आधे-आधे घंटे की कमी करते जाएं तो फिर देखिये, कुछ ही दिनों में ऐसा चमत्कार होगा कि हमारी आंतरिक घड़ी हमें खुद ब खुद निर्धारित समय पर जगा देगी। जिस प्रकार कोई बुरी आदत छूटने में समय लगता है, उसी प्रकार नई आदतें विकसित होने में भी समय लगता है।
अपनी गलतियों को स्वीकारें
नए वर्ष की बेला में अपने अंदर की कमजोरियों, अपने गुणों-अवगुणों को पहचानें और इनकी समीक्षा करें। अपनी गलतियों, असफलताओं या कमजोरियों के लिए दूसरों पर दोषारोपण के बजाय एक-एक कर उन्हें सुधारने का प्रयत्न करें। अपनी गलती स्वीकारना सीखें। अपनी गलतियां स्वीकारने से आप आत्मविश्लेषण तो कर ही सकेंगे, इससे आपको कुछ न कुछ नया सीखने को मिलेगा और आपका व्यक्तित्व भी निखरेगा। हर व्यक्ति में कोई न कोई गुण अवश्य होता है, अतः दूसरों से भी कुछ अच्छी बातें सीखने का प्रयास करें।
जीवन में पारदर्शिता लाएं
सफलता प्राप्ति एवं जीवन में उन्नति के लिए जरूरी है कि आपके जीवन में पारदर्शिता स्पष्ट झलके। जो कुछ आप कहें, उसपर अमल भी करते दिखाई दें। अगर आप दूसरों को उपदेश देते रहें और स्वयं उनपर अमल न करें तो लोग आपको संदेह की नजर से ही देखेंगे और आपकी बातों का भी उनकी नजरों में कोई महत्व नहीं होगा। यदि आपमें दूसरों की निन्दा करने की आदत है तो उसे छोड़ने का प्रयास करें क्योंकि अपनी इस आदत के कारण भी आप दूसरों की नजरों में गिर सकते हैं। आप स्वयं को दूसरों से किसी भी मामले में कम न समझें।
अगर आपमें आत्मविश्वास है तो आप हर प्रकार की चुनौती का दृढ़ता से सामना कर सकते हैं और उसपर विजय पा सकते हैं। दूसरों के प्रति नकारात्मक सोच की प्रवृत्ति का भी त्याग करें। यदि आपके मन में हर समय दूसरों के बारे में नकारात्मक विचार आते रहेंगे या दूसरों के प्रति ईर्ष्या की भावना आपके मन में रहेगी तो आप हमेशा तनावग्रस्त रहेंगे और तनाव आपको विभिन्न प्रकार के रोगों का शिकार बनाकर आपकी उन्नति और सफलता के मार्ग में बाधक बनेगा। अगर आपस में कोई समस्या या गलतफहमी हो तो मिल-बैठकर उसे सुलझाने का प्रयास करें।
संबंधों को बेहतर बनाएं
आज के भौतिकवादी युग में आपसी संबंध औपचारिकता मात्र रह गए हैं। आप दूसरों से अपने संबंधों को बेहतर बनाने के लिए अपनी ओर से हरसंभव पहल करें और विनम्रता तथा वाणी में मिठास को स्वभाव का अहम हिस्सा बनाएं। फिर देखें, आपसी रिश्तों में प्रगाढ़ता आने से आपके मन को कैसा सुकून मिलता है, साथ ही आपके स्वभाव में विनम्रता व वाणी में माधुर्यता आने से आपका व्यक्तित्व भी निखर उठेगा।
नए दोस्त बनाएं
अगर आपको नए दोस्त बनाने का मौका मिलता है तो ऐसे मौके का हाथ से न जाने दें लेकिन दोस्ती को स्वार्थपूर्ति का जरिया न बनाएं बल्कि जरूरत पड़ने पर सही मायनों में एक-दूसरे के काम आएं। नई दोस्ती आपको भावनात्मक रूप से सुदृढ़ करने के साथ-साथ आपके जीवन में नयापन भी लाएगी। इससे आपका तनाव दूर करने में भी काफी हद तक मदद मिलेगी। दोस्ती में प्रगाढ़ता लाने के लिए छुट्टी के दिन इकट्ठे घूमें-फिरें, आपस में हंसी-मजाक करें, पुरानी यादों को ताजा करें।
अनुशासित रहें और समय का महत्व समझें
जीवन में सफलता और तरक्की के लिए अनुशासन का बहुत बड़ा महत्व है। आप कितने ही प्रतिभाशाली, परिश्रमी और शक्ति सम्पन्न क्यों न हों, अगर आपके जीवन में अनुशासन नहीं है तो आप सफलता प्राप्त नहीं कर सकेंगे। इसी प्रकार समय का सुनियोजन भी बहुत जरूरी है। आलस्य सफलता के मार्ग में बहुत बड़ा अवरोधक है। अतः आलसी प्रवृत्ति को त्याग दें। स्वावलंबी बनें और अपने काम को दूसरों पर थोपने की चेष्टा न करें। एक आलसी व्यक्ति हर काम को कल पर टालता रहेगा और हर कार्य के लिए दूसरों पर निर्भर रहेगा। इसलिए किसी भी कार्य को कल पर टालने के बजाय उसे सही समय पर निपटाने की आदत विकसित करें। इससे आप पर काम का बोझ तो कम होगा ही, आपका तनाव भी कम होगा। समय प्रबंधन को अपनाकर आप बड़े से बड़े कार्य को आसानी से हल करने में सक्षम हो सकते हैं।
दिनभर के कार्यों का विश्लेषण करें
प्रतिदिन रात को सोने से पूर्व अपने दिनभर के कार्यों का विश्लेषण करते हुए यह जानें कि आपने आज कितना समय व्यर्थ गंवाया है। अगर उस समय में आप कुछ ऐसे रचनात्मक कार्य करें, जिससे दूसरों का भी कुछ भला हो सके तो सोचिए, इससे आपके मन को कितना सुकून मिलेगा।
लक्ष्य निर्धारित करें
स्वमूल्यांकन करते हुए यह निर्धारित करें कि आपके जीवन का लक्ष्य क्या है? लक्ष्यहीन मनुष्य का जीवन तो पशु जीवन के ही समान है। कहीं हम भी पशुओं की भांति दिनभर अपनी जीभ के स्वाद और रात को मस्ती में ही तो अपने जीवन के अनमोल पलों को नहीं गंवा रहे हैं। जीवन के सही लक्ष्य के निर्धारण से ही आपका समग्र विकास संभव है। लक्ष्य की श्रेष्ठता ही हमें बुलंदी पर पहुंचा सकती है। इसलिए बीमारी में या दूसरों के सुख-दुख में उनका सहयोग करें और अपने मस्तिष्क से संकुचित विचारों को बाहर करके सकारात्मक सोच विकसित करें।
नए शौक विकसित करें
नए शौक व नई रूचियां विकसित कर सकें तो इससे आपके जीवन में नए रंग भरेंगे तथा आपके खाली समय का सदुपयोग भी होगा और इससे आपका तनाव दूर करने में भी मदद मिलेगी। अपने शौक, अपनी रूचियों को पूरा करने के लिए अपनी व्यस्त दिनचर्या में से भी आप कुछ समय निकाल सकते हैं।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)