नई दिल्ली: कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच रोजगार दर में लगातार गिरावट के बीच सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) ने कहा है कि भारतीय श्रम बाजार पिछले साल अप्रैल-मई के बाद से सबसे खराब स्थिति में है. सीएमआईई द्वारा प्रकाशित आंकड़ों से पता चला है कि बेरोजगारी दर, जो मई 2021 में 11.9 प्रतिशत तक पहुंच गई, जून की शुरूआत में बढ़ती रही.
इसके अलावा श्रम भागीदारी दर, जो 40 प्रतिशत तक गिर गई थी और गिरकर 39.7 प्रतिशत हो गई है और सबसे महत्वपूर्ण श्रम बाजार संकेतक, रोजगार दर, जो मई में 35 .3 प्रतिशत से गिरकर 6 जून 2021 तक 34.6 प्रतिशत हो गई. सीएमआईई के सीईओ महेश व्यास ने कहा, “भारतीय श्रम बाजार अप्रैल और मई 2020 के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन महीनों के बाद से सबसे खराब स्थिति में है.”
उन्होंने कहा कि पिछले चार हफ्तों में श्रम बाजार की स्थितियों में विशेष रूप से तेज गिरावट देखी गई है. हालांकि, व्यास ने कहा कि स्थानीय लॉकडाउन के कारण असंगठित क्षेत्रों में खोई गई अनौपचारिक नौकरियों की रिकवरी की उम्मीद है. जनवरी 2021 के बाद से कुल गैर-कृषि नौकरियों का नुकसान 3.68 करोड़ है. इसमें से दिहाड़ी मजदूरों की संख्या 2.31 करोड़ है. सीएमआईई के अनुसार वेतनभोगी कर्मचारियों की संख्या 85 लाख है और बाकी उद्यमी हैं.
उन्होंने कहा कि नौकरियों को ठीक करने या 2019-20 के रोजगार के स्तर पर वापस आने के लिए भारत की अर्थव्यवस्था की मजबूत रिकवरी होगी. व्यास ने कहा, “अनलॉकिंग प्रक्रिया से मई 2021 के लॉकडाउन से जुड़े लगभग दो-तिहाई नौकरी के नुकसान की मरम्मत की उम्मीद की जा सकती है. यह महीने के दौरान खोई गई 2.5 करोड़ गैर-कृषि नौकरियों में से 1.7 करोड़ होगी.”