राष्ट्रीय

लोकपाल कानून के तहत अब बाबुओं को भी करना होगा संपत्ति का खुलासा, जल्‍द नियम बनाएगी सरकार

नई दिल्ली : लोकपाल एक्ट (Lokpal Act) के तहत केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए संपत्ति और देनदारियों का विवरण दायर करने से जुड़े नए नियमों को अब तक नोटिफाई नहीं किया गया है. कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग यानी डीओपीटी (DoPT) ने यह जानकारी दी है.

विभिन्न सेवा नियमों के तहत कर्मचारी अपनी संपत्ति और देनदारियों की घोषणा करते हैं और लोकपाल कानून के तहत भी उन्हें इन जानकारियों की घोषणा करनी होगी. लोकपाल और लोकायुक्त एक्ट-2013 के तहत नोटिफाईड नियमों के मुताबिक, प्रत्येक लोकसेवक के लिए हर साल 31 मार्च तक या 31 जुलाई से पहले धारा-44 के तहत अपनी संपत्ति का विवरण दायर करना अनिवार्य है.

वर्ष 2014 में यह जानकारी दाखिल करने की अंतिम तारीख 15 सितंबर थी. कई बार अंतिम तिथि को आगे बढ़ाने के बाद डीओपीटी ने एक दिसंबर 2016 को समय सीमा को अनिश्चितकाल के लिए बढ़ा दिया और कहा कि सरकार इस बाबत नए फॉर्मेट और नए नियमों को अंतिम रूप दे रही है.

करीब 6 साल बाद भी सरकार ने नए नियमों को नोटिफाई नहीं किया है. सूचना का अधिकार के तहत दायर आवेदन के जवाब में डीओपीटी ने कहा, “लोकपाल एक्ट की धारा-44 के संशोधित प्रावधानों के अनुसार, घोषणापत्र दाखिल करने के लिए फॉर्म और तरीके को निर्धारित करने के लिए नए नियम अभी नोटिफाईड किए जाने हैं.”

डीओपीटी के 2016 के आदेश में कहा गया है कि लोक सेवकों को ‘अभी’ संपत्ति और देनदारियों की घोषणा दाखिल करने की कोई जरूरत नहीं है. आदेश के मुताबिक, सभी लोक सेवकों को अब से नए नियमों के तहत घोषणाएं दाखिल करनी होंगी.

यह कानून पारित होने के 6 साल बाद अस्तित्व में आया था और मार्च 2019 में जस्टिस पिकानी चंद्र घोष को इसका पहला अध्यक्ष नियुक्त किया गया. जस्टिस घोष का कार्यकाल मई 2022 में पूरा हो गया था। इसके चलते लोकपाल करीब चार महीने से अपने नियमित प्रमुख के बिना काम कर रहा है. फिलहाल लोकपाल में 6 सदस्य हैं, जबकि स्वीकृत पदों की संख्या 8 है. न्यायिक सदस्यों के दो पद करीब 2 साल से खाली पड़े हैं.

Related Articles

Back to top button