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मुसोलिनी की समर्थक बनेगी देश की पहली महिला प्रधानमंत्री

रोम : इटली में हुए आम चुनावों (Italy election) में जॉर्जिया मेलोनी (Giorgia Meloni) ने इतिहास रच दिया. वे देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनने जा रही हैं. ब्रदर ऑफ इटली पार्टी की नेता जॉर्जिया मेलोनी ने पूर्व पीएम मारियो द्रागी को बड़े अंतर से मात दी. इसी के साथ इटली में दूसरे विश्व युद्ध के बाद दक्षिण पंथी सरकार का भी रास्ता साफ हो गया. इटली में 1945 के बाद 2022 तक 77 साल में 70वीं बार सरकार बदली है. जॉर्जिया मेलोनी के पीएम बनने के साथ ही इटली के फाशिस्ट तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी की भी चर्चा तेज हो गई. दरअसल, जॉर्जिया मेलोनी खुद को मुसोलिनी समर्थक मानती हैं.

जॉर्जिया मेलोनी ने चुनाव से पहले फॉर्जा इटालिया (Forza Italia) और द लीग के साथ गठबंधन किया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गठबंधन को 43% वोट मिलते दिख रहे हैं. जॉर्जिया मेलोनी की पार्टी ने 26% वोट हासिल किए. वामपंथी डेमोक्रेटिक पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन को करीब 26 प्रतिशत वोट मिले. वहीं, 5-स्टार मूवमेंट को 15% वोट मिले हैं. मेलोनी गठबंधन सीनेट की 114 सीटें जीतने में सफल रहीं. इटली में बहुमत साबित करने के लिए सीनेट की 104 सीटों की जरूरत है. इटली में निवर्तमान पीएम मारियो द्रागी की सरकार गठबंधन में शामिल अन्य दलों के समर्थन वापस लेने के बाद जुलाई में गिर गई थी.

ब्रदर ऑफ इटली दक्षिणपंथी पार्टी है. इसका गठन बेनिटो मुसोलिनी के समर्थकों द्वारा किया गया. जॉर्जिया मेलोनी की पार्टी ब्रदर ऑफ इटली को अपने उदय के करीब एक दशक बाद यानी 2018 के चुनाव में सिर्फ 4% वोट मिले थे. तब मारियो द्रागी पीएम बने थे. मेलोनी इटली की जनता में तब चर्चित हुईं, जब उनकी पार्टी ने द्रागी के नेतृत्व वाले नेशनल यूनिटी गठबंधन में शामिल न होने का फैसला करते हुए मुख्य विपक्षी दल बनी थी.

जॉर्जिया मेलोनी का जन्म रोम में हुआ. जब वे एक साल की थीं, तब उनके पिता फ्रांसेस्को ने मां को छोड़ दिया और कैनरी आइसलैंड आकर रहने लगे. फ्रांसेस्को वामपंथी थे, जबकि मेलोनी दक्षिणपंथी थीं. बताया जाता है कि वे अपनी मां से प्रेरित होकर ही दक्षिणपंथी विचारधारा की हैं. जॉर्जिया मेलोनी 15 साल की उम्र में इतालवी सामाजिक आंदोलन (MSI) की युवा शाखा यूथ फ्रंट में शामिल हुईं. इसके बाद वे आंदोलन की स्टूडेंट विंग की अध्यक्ष भी बनीं.

2008 में जॉर्जिया 31 साल की उम्र में मंत्री बनीं. वे इटली की सबसे युवा मंत्री थीं. सिल्वियो बर्लुस्कोनी द्वारा उन्हें यूथ एंड स्पोर्ट मंत्रालय दिया गया. 2012 में जॉर्जिया ने अपनी पार्टी ब्रदर ऑफ इटली का गठन किया. वे खुद को रोमन, राजनेता और पत्रकार बताती हैं. हालांकि, वे कहती हैं कि वे इससे पहले एक ‘इतालवी’ हैं. मेलोनी ने 2006 में एक बेटी को भी जन्म दिया था. मेलोनी ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा था, ”मुसोलिनी एक अच्छे राजनेता थे. उन्होंने जो कुछ भी किया, वह इटली के लिए किया.”

इटली में सरकारें बदलती रहती हैं. भले ही इटली में 5 साल में चुनाव होते हैं, लेकिन इसके बावजूद यहां 77 साल में 70 बार सरकार बदल चुकी है. यानी औसत 13 महीने तक ही एक सरकार चलती है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर इटली में इतनी जल्दी सरकार क्यों गिर जाती है. कई जानकार बताते हैं कि इसके कई कारण हैं. सबसे मुख्य कारण ये है कि इटली की राजनीति अभी भी बेनेटो मुसोलिनी के इर्द गिर्द घूमती है. भले ही मुसोलिनी की मौत को 77 साल हो गए हों, लेकिन अभी भी यहां समर्थकों और विरोधियों के बीच सिविल वॉर चलता रहता है.

इसके अलावा इटली में मुसोलिनी के बाद राजनीतिक प्रणाली को दोबारा इस तरह खड़ा किया गया, कि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी व्यक्ति या राजनीतिक पार्टी बहुत अधिक ताकतवर न बन सके. इटली में कई बार सरकारें भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भी गिरी हैं.

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