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अमित शाह के दौरे से कश्मीर में भाजपा गदगद, बारामूला की सभा में जुटी भीड़ देख जगी उम्मीदें

नई दिल्ली : चुनावी तैयारियों में जुटे जम्मू कश्मीर में बदलाव की आहट सुनाई देने लगी है। आतंकवाद के दौर से तेजी से बाहर निकल रहे इस केंद्र शासित प्रदेश में दहशत की जगह विश्वास का माहौल बना है। हाल में गृह मंत्री अमित शाह की घाटी के बारामूला में हुई बड़ी सभा इसका बड़ा उदाहरण है। बारामूला में 35 साल बाद केंद्र सरकार के किसी मंत्री ने सभा की है। राज्य में मतदाता सूचियों के सत्यापन का काम तेजी से हो रहा है। इसके बाद चुनाव आयोग वहां पर नई विधानसभा के लिए चुनाव तारीखों को लेकर फैसला लेगा। गृहमंत्री अमित शाह के हाल के जम्मू कश्मीर के दौरे में बदले हुए कश्मीर की तस्वीर साफ दिखाई दी। राजौरी और बारामूला में शाह के सभाओं में जुटी भीड़ की प्रतिक्रिया को लेकर भाजपा नेता भी उत्साहित हैं। खासकर घाटी में शाह की बारामूला की सभा से साफ है कि जम्मू कश्मीर अब अपने चार दशक पुराने दौर में लौट रहा है। 35 साल बाद किसी केंद्रीय मंत्री ने यहां पर सभा की। भीड़ भी जुटी और वह प्रतिक्रिया भी दे रही थी।

सरकार कितनी सहजता से लोगों के बीच पहुंच रही है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि गृह मंत्री अमित शाह एक शहीद के परिजनों से मिलने 1200 फुट ऊंचाई पर स्थित उसके घर पैदल चलकर पहुंचे। शहीद के पिता भी आतंकवाद के खिलाफ लड़े थे। बीते तीन साल में जम्मू कश्मीर तेजी से मुख्यधारा में लौट रहा है। केंद्र सरकार के बड़े और कड़े फैसलों के साथ राज्य में उपराज्यपाल के नेतृत्व में उठाए जा रहे बड़े कदमों का असर अब दिखाई देने लगा है। आतंकवाद की जड़ें कमजोर हो रही हैं और घाटी में नए बदलाव को साफ देखा जा सकता है। सामाजिक तौर पर सिनेमा घरों को फिर से खोलना और उनमें लोगों की भीड़ का जुटना काफी महत्वपूर्ण है।

राजनीति प्रक्रिया की बहाली के लिए नए परिसीमन के बाद चुनाव की तैयारी हो रही है। मतदाता सूची को अंतिम रूप देने का काम चल रहा है और एक-एक वोटर का सत्यापन किया जा रहा है, ताकि विपक्ष को कोई उंगली उठाने या कमी निकालने का मौका ना मिल सके। पश्चिमी पाकिस्तान और पाक अधिकृत क्षेत्र से आए लोगों और देशभर में फैले जम्मू कश्मीर के विस्थापितों को मतदाता सूची में शामिल किया जा रहा है। इसके अलावा पिछले 15 साल से वहां पर रह रहे लोगों को भी विधानसभा चुनाव में मतदाता सूची में जोड़ा जा रहा है।

कुछ नेताओं के लिए बनाई गई विधानसभाओं को भी नये सिरे से तैयार किया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि शेख अब्दुल्ला के समय उनके क्षेत्र में ऐसे आधा दर्जन गांवों को भी जोड़ा गया था जो कि वहां की पहुंच से काफी दूर थे। लेकिन उन्हें सिर्फ इसलिए जोड़ा था क्योंकि कभी अब्दुल्ला वहां के स्कूल में पढ़े थे। इस तरह की अन्य कई विसंगतियां को भी परिसीमन में दूर किया गया है।

भाजपा की दृष्टि से देखा जाए तो वह अपनी ताकत को अब जम्मू क्षेत्र से घाटी में भी तेजी से बढ़ा रही है। पार्टी के एक प्रमुख नेता ने संकेत दिए हैं कि भाजपा अपने दम पर चुनावी तैयारी कर रही है लेकिन उन लोगों को भी अपने साथ ला सकती है जो हुर्रियत और जमात-ए-इस्लामी को मान्यता नहीं देते हैं एवं पाकिस्तान के बिना भी शांति के पक्षधर हैं।

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