अन्तर्राष्ट्रीय

तालिबान ने अफगानिस्तान को ‘गंभीर’ संकट में डाल दिया है: संयुक्त राष्ट्र

संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र (United Nations) महासभा ने तालिबान पर अफगान महिलाओं (Afghan Women) तथा लड़कियों के मानवाधिकारों का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए बृहस्पतिवार को एक प्रस्ताव पारित किया। उसने तालिबान पर एक प्रतिनिधि सरकार स्थापित करने में नाकाम रहने तथा देश को ‘गंभीर आर्थिक, मानवीय और सामाजिक स्थिति’ में डालने का आरोप लगाया।

प्रस्ताव में 15 महीने पहले अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के बाद से देश में निरंतर हिंसा और अल-कायदा तथा इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकवादी समूहों के साथ ही ‘विदेशी आतंकवादी लड़ाकों’ का भी जिक्र किया गया है। संयुक्त राष्ट्र में जर्मनी की राजदूत अंतजे लींदर्त्से ने उम्मीद जतायी थी कि 193 सदस्यीय महासभा आम सहमति से जर्मनी द्वारा प्रस्तावित इस प्रस्ताव को पारित कर देगी।

इस प्रस्ताव को 116 सदस्यों ने मंजूरी दी। रूस, चीन, बेलारूस, बुरुंडी, उत्तर कोरिया, इथियोपिया, गिनी, निकारागुआ, पाकिस्तान और जिम्बावे समेत 10 देश प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहे। 67 देशों ने वोट नहीं दिया। सुरक्षा परिषद की तुलना में महासभा के प्रस्ताव कानूनी रूप से बाध्य नहीं हैं लेकिन वे दुनिया की राय को दर्शाते हैं।

मतदान (Voting) से पहले जर्मन राजदूत ने महासभा में कहा कि अगस्त 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान ने ‘बड़े पैमाने पर आर्थिक तथा मानवीय संकट’ देखा है, जिससे आधी आबादी ‘गंभीर खाद्य असुरक्षा’ का सामना कर रही है। प्रस्ताव में महिलाओं तथा लड़कियों के खिलाफ यौन हिंसा समेत मानवाधिकारों के उल्लंघन पर गहरी चिंता व्यक्त की गयी है।

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