पटना : बिहार में शिक्षकों की नई नियुक्ति नियमावली बनने के बाद से ही इसका विरोध प्रारंभ हो गया है। इस बीच, सरकार ने नियमावली के विरोध में नियोजित शिक्षकों के धरना-प्रदर्शन कार्यक्रमों में भाग लेने पर सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी है। इधर, शिक्षक संघ ने चेतावनी को भी दरकिनार कर दिया है।
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने जिला शिक्षा अधिकारियों को भेजे गए एक पत्र में कहा है कि राज्य के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से नियुक्त शिक्षकों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जाए जो राज्य सरकार द्वारा हाल में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए बनाए गए नए नियमों के खिलाफ किसी विरोध प्रदर्शन का आयोजन करते हैं या उसमें भाग लेते हैं। पत्र में कहा गया कि मीडिया में ऐसी खबरें आई हैं कि सरकारी शिक्षकों की नियुक्ति के लिए नए नियमों के खिलाफ शिक्षक विरोध प्रदर्शन आयोजित करने की योजना बना रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि राज्य मंत्रिमंडल ने 2 मई को बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) के माध्यम से प्राथमिक, मध्य और उच्च विद्यालयों के लिए 1.78 लाख शिक्षकों की भर्ती के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। मंत्रिमंडल द्वारा प्रस्ताव को मंजूरी देने के एक दिन बाद नियुक्तियों के तौर-तरीकों को लेकर विरोध शुरू हो गया। नियुक्तियों के तौर-तरीकों पर एतराज जताते हुए शिक्षकों के कई संघों ने इसे पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से नियुक्त 3.5 लाख शिक्षकों के खिलाफ बताया था।
बिहार राज्य माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश महासचिव शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने जो पत्र जारी किया है, वह भारत के संविधान के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है।
उन्होंने कहा कि संविधान विरोधी किसी भी आदेश का पालन बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ क्या भारत का कोई भी नागरिक नहीं कर सकता है। सरकार यदि हमारे खिलाफ नीति बनाएगी तो लोकतंत्र में हमारा मौलिक अधिकार है कि हम उसका विरोध करेंगे।
उन्होंने कहा कि सरकार को मजबूर होना पड़ेगा और गलतियों का सुधार करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि जो शिक्षक 20 साल से सेवा प्रदान कर रहे हैं उनको सरकार बेरोजगार करना चाहती है। उनकी छंटनी करना चाहती है। हम किसी कीमत पर आपको यह अधिकार नहीं देंगे।