नई दिल्ली: देश में मुफ्त राशन पाने वाले परिवारों के लिए अच्छी खबर है। दरअसल केंद्र की मोदी सरकार ने कुछ समय पहले ओपन मार्केट सेल स्कीम (ओएमएसएस) के तहत कई राज्यों को चावल और गेहूं की बिक्री बंद कर दी थी। ऐसे में अब सरकार के इस फैसले का सीधा असर गरीबों को मुफ्त अनाज देने वाले राज्यों पर पड़ा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जी हां सरकार के इस फैसले के बाद राज्यों को केंद्रीय पूल से गेहूं और चावल मिलना बंद हो गया है। अब चूंकि पहले दौर की ई-नीलामी को छोटे व्यापारियों से अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिला, इसलिए योजना में बदलाव किया जा सकता है। चावल की बिक्री के लिए आयोजित की गई पहली ई-नीलामी को बहुत ठंडी प्रतिक्रिया मिली है। इस वजह से सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार कर सकती है और इससे मुफ्त राशन पाने वाले नागरिकों को फायदा हो सकता है। आइए यहां जानते है इस बारे में पूरी खबर….
कर्नाटक और केंद्र सरकार के बीच मतभेद…
राज्यों को ओएमएसएस में भाग लेने की अनुमति देने से इनकार करते हुए, केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा कि केंद्र आगे निर्णय लेने से पहले देखेगा कि ई-नीलामी दौर कैसे चलता है। ओएमएसएस के तहत चावल की उपलब्धता को लेकर कांग्रेस शासित कर्नाटक और केंद्र सरकार आमने-सामने हैं। केंद्र का कहना है कि अगर सभी राज्य केंद्रीय बफर स्टॉक से चावल मांगना शुरू कर देंगे, तो मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त स्टॉक नहीं होगा।
ओएमएसएस कई वर्षों के बाद शुरू हुआ
इस बारे में जानकारी देते हुए चोपड़ा ने कहा कि तमिलनाडु और ओडिशा सहित 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने कहा कि केंद्र के खाद्य भंडार का उपयोग देश के करोड़ों लोगों के लाभ के लिए किया जाना चाहिए। यह किसी खास वर्ग और समाज के लिए नहीं होना चाहिए। खाद्य सचिव ने मीडिया को बताया कि चावल के लिए ओएमएसएस कई वर्षों के बाद शुरू किया गया है।खुदरा बाजार में मूल्य वृद्धि के खिलाफ बाजार को संकेत देने के लिए यह कदम उठाया गया है। अगर केंद्र राज्यों को चावल की बिक्री फिर से शुरू करता है तो इसका सीधा फायदा मुफ्त राशन पाने वाले परिवारों को होगा। अब देखना यह होगा के इस संबंध में केंद्र क्या करता है।
5 जुलाई को थीपहली ई-नीलामी
गौरतलब हो कि एफसीआई ने ओएमएसएस के तहत चावल की बिक्री के लिए 5 जुलाई को आयोजित पहली ई-नीलामी में 3.88 लाख टन चावल बिक्री के लिए रखा था, लेकिन केवल 170 टन चावल ही बिक सका। ऐसे में अब अगली नीलामी 12 जुलाई को होगी। इस संबंध में चोपड़ा ने कहा, ‘अगर आपको एक राउंड में अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिलता है तो निराश मत होइए। ओएमएसएस के तहत चावल की बिक्री समाप्त नहीं हुई है। यह 31 मार्च 2024 तक जारी रहेगा।
क्या सरकार चावल की बिक्री बढ़ाने के लिए OMSS नीति में बदलाव की योजना बना रही है? इस बारे में पूछे जाने पर चोपड़ा ने कहा, ‘सरकार के पास विकल्प हैं और जरूरत पड़ने पर अगले कुछ दौर में उनका इस्तेमाल किया जाएगा। सरकार बदलाव के लिए तैयार है।’