वन और राजस्व विभाग के अफसरों की लापरवाही वन भूमि की हुई रजिस्ट्री
भोपाल : वन और राजस्व विभाग के अफसरों की लापरवाही के चलते वन भूमि की रजिस्ट्री कर दी गई है। इंदौर में ही कई कब्जाधारकों ने वन भूमि पर कब्जा कर रजिस्ट्री करा ली है। इसका खुलासा होने के बाद अब वन विभाग के अफसरों ने रजिस्टर्ड कराई गई वन भूमि का नामांतरण नहीं किए जाने और भविष्य में वन भूमि की रजिस्ट्री नहीं करने को लेकर राजस्व आयुक्त और आईजी पंजीयन व मुद्रांक को पत्र लिखा है। इसमें रजिस्ट्री पर रोक के लिए भी कहा गया है।
प्रदेश में इंदौर और खरगोन जिले को पांच वन मंडलों की जमीन के मामले में यह जानकारी सामने आई है कि यहां वन भूमि की रजिस्ट्री हुई है। इंदौर वन मंडल में 4 और खरगौन वन मंडल में 9 वनग्रामों को लेकर आई शिकायतों की जांच शासन द्वारा कराई गई। इसके बाद बताया गया कि बड़वाह वन मंडल खरगोन में 5 वन ग्रामों की भूमि की 52 रजिस्ट्री कराई गई है। इसी तरह इंदौर जिले में नाहर झाबुआ, रसकुंडिया, तेलनमान, उमठ, नेहरू वनग्राम में वन भूमि की रजिस्ट्री कराने की बात कही जा रही है। हालांकि वन अफसरों ने इंदौर के वन ग्रामों की भूमि की रजिस्ट्री होने की जानकारी से इनकार किया है।
शासन ने कहा है कि आरक्षित वनभूमियों के क्रय-विक्रय का कोई प्रावधान नहीं है। रजिस्ट्री की जानकारी के बाद वनमंडल बड़वाह की रिजर्व फारेस्ट भूमि की रजिस्ट्री कराकर अवैध कब्जा करने वालों के विरुद्ध वन अपराध प्रकरण दर्ज किया गया है और उन्हें हटाने की कार्यवाही की गई है। वनमंडलाधिकारी इंदौर ने कलेक्टर इंदौर, अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) महू व इंदौर एवं तहसीलदार इंदौर व महू को वनग्रामों के पट्टेधारियों की भूमि का अवैध क्रय-विक्रय रोके जाने एवं संज्ञान में आने पर उसे अमान्य करने के लिए पत्र लिखा गया है। इतना ही नहीं वन मुख्यालय द्वारा आयुक्त राजस्व एवं महानिरीक्षक पंजीयक एवं अधीक्षक मुद्रांक को वनग्रामों की वन भूमियों के क्रय-विक्रय नियम विरुद्ध होने के कारण ऐसी भूमि के नामांतरण पर तत्काल रोक लगाने के भी पत्र लिखा गया है।