बस राजनीतिक हथियार न बने; भारत से यूरोप तक बने रहे कॉरिडोर पर चीन का पहला रिएक्शन
नई दिल्ली : दिल्ली में हुए जी-20 समिट के बीच भारत-मिडल ईस्ट-अमेरिका और यूरोप के बीच कॉरिडोर बनाने को लेकर समझौता हुआ है। दुनिया की कई महाशक्तियों के एक मंच पर आने और कनेक्टिविटी के लिए प्लेटफॉर्म तैयार करने को चीन के बेल्ट ऐंड रोड प्रोजेक्ट के लिए एक चैलेंज माना जा रहा है। इस बीच चीन का कॉरिडोर को लेकर पहला रिएक्शन सामने आया है। चीन ने सोमवार को कहा कि हम इस गलियारे का स्वागत करते हैं, लेकिन इसका मकसद साझा विकास और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना होना चाहिए। इसे भू-राजनीति का हथियार नहीं बनना चाहिए।
ड्रैगन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम विकासशील देशों के बीच कनेक्टिविटी के स्वागत करते हैं। यह खुला, समावेशी और सहयोग वाला होना चाहिए। बस इतना ध्यान रहे कि ऐसे परियोजनाओं को भूराजनीति का हथियार न बनाया जाए। शनिवार को ही दिल्ली में इस पर सहमति बनी थी और फिर इंडिया-मिडल-ईस्ट यूरोप इकॉनमिक कॉरिडोर का ऐलान पीएम नरेंद्र मोदी ने किया था। इस गलियारे से इटली, जर्मनी, अमेरिका, फ्रांस और यूरोपियन यूनियन को भी जोड़ने की तैयारी है। एक तरफ इटली ने चीन के बीआरआई से निकलने की बात कही है तो वहीं भारत के प्रोजेक्ट से जुड़ने पर सहमति दी है। इसलिए भी इसे चीन के लिए झटके के तौर पर देखा जा रहा है।
पीएम नरेंद्र मोदी ने इस गलियारे का ऐलान करते हुए कहा था, ‘आज एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक साझेदारी पर सहमत हुए हैं। आने वाले समय में यह गलियारा भारत, पश्चिम एशिया और यूरोप के बीच आर्थिक सहयोग का अहम माध्यम होगा। इस गलियारे से पूरी दुनिया में ही स्थायी विकास और कनेक्टिविटी को मजबूती मिलेगी।’ इस मौके पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि यह बड़ी डील है और वास्तव में ही इसके बहुत फायदे होंगे। बाइडेन ने कहा कि हमारा यह प्रयास है कि निम्न और मध्यम आय वाले देशों में इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी दूर हो सके। इसके अलावा उन्हें निवेश का ज्यादा से ज्यादा फायदा मिल सके।
विश्लेषकों का मानना है कि चीन के बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव को चुनौती देने वाला यह प्रोजेक्ट है। खासतौर पर चीन से जुड़ने वाले देशों ने कर्ज के संकट में फंसने पर चिंता जाहिर की है। ऐसे में यह परियोजना चीन को चैलेंज देने के साथ ही दुनिया के एक बड़े हिस्से को साथ जोड़ती है। चीन ने बेल्ट ऐंड रोड प्रोजेक्ट की लॉन्चिंग 2013 में की थी। इसके एक हिस्से के तौर पर चीन और पाकिस्तान के बीच गलियारा भी तैयार किया गया है। चीन का कहना है कि उसने अपने गलियारे से पुराने सिल्क रूट को ही जिंदा किया है। वहीं भारत की ओर से प्रस्तावित कॉरिडोर पुराना मसाला मार्ग कहा जा रहा है।