सी295 परियोजना देगी भारतीय वायुयान क्षेत्र को नई उड़ान
नई दिल्ली: भारत अपने नागरिक उड्डयन क्षेत्र के आधुनिकीकरण के लिए लगातार अच्छी पहल कर रहा है। मेक इन इंडिया प्रोग्राम के तहत भारतीय वायुयान क्षेत्र को धार देने पर विशेष जोर दिया गया है। हाल ही में एयरबस निर्मित पहले सी-295 विमान को भारतीय वायुसेना को सौंपे जाने के बाद अब यह कहा जाने लगा है कि भारतीय वायुसेना बेहतरीन साझेदारियों के दौर से गुजर रही है।
एयरबस निर्मित पहले सी-295 विमान को भारतीय वायुसेना को सौंपे जाने के दौरान स्पेन में भारत के राजदूत दिनेश के पातनिक ने कहा कि यह अब तक कि सर्वश्रेष्ठ मेक इन इंडिया परियोजना है। उन्होंने कहा कि एक वैश्विक विमान निर्माता की तरफ से भारत में सैन्य विमान निर्माण शुरू किए जाने से वायुयान निर्माण का पूरा पारिस्थितिकी तंत्र विकसित होगा, जिससे विमानों की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भी बदलाव आएगा।
जब विमान का निर्माण भारत में शुरू होगा, तो 14,000 कल पुर्जों को भारत में औद्योगिक स्तर पर उत्पादन शुरू होगा, जिससे तमाम लोगों को रोजगार मिलेगा, साथ ही भारत में विमान निर्माण का पारिस्थितिकी तंत्र भी बनेगा। कई तरह की विधिक चुनौतियों के बाद भी एयरबस ने तय समय से 10 पहले पहला विमान भारतीय वायुसेना को सौंप दिया है। इसके साथ ही उम्मीद जताई कि स्पेन से भारत भेजे जाने वाले उड़ने के लिए तैयार शेष 15 विमान भी तय समय पर मिल जाएंगे। वायुसेना प्रमुख वीआर चौधरी ने स्पेन में पहले विमान के हस्तांतरण के दौरान कहा कि पूरे देश के लिए और खासतौर पर भारतीय वायु सेना के लिए यह अहम दिन है। यह वायुसेना के आधुनिकीकरण के एक नए युग की शुरुआत है। इस विमान से जरूरत पड़ने पर सैनिकों को अग्रिम मोर्चों तक पहुंचाने की क्षमता भी जबरदस्त इजाफा होगा।
सी-295 के भारतीय कार्यक्रम के प्रमुख जोर्गे टैमेरिट ने बताया कि वडोदरा स्थिति फैक्टरी में विमान का उत्पादन नवंबर 2024 से शुरू हो जाएगा। वहीं, स्पेन से उड़ने को तैयार स्थिति में 16 विमानों में से आखिरी विमान को सितंबर 2025 तक भारत को सौंप दिया जाएगा। सभी 56 विमानों में स्वदेशी रडार व मिसाइल चेतावनी प्रणाली को लगाया गया है। इसके अलावा भारत डायनेमिक्स लि. के बनाए गए काउंटर-मेजर डिस्पेंसिंग सिस्टम को इसमें शामिल किया गया है।
विमान के कुल 14,000 पुर्जे भारत में बनाए जाएंगे। इसके लिए हर साल 3,500 पुर्जों को भारत में ही औद्योगीकृत किया जाएगा। भारत में टाटा के साथ मिलकर बनाए जाने वाले पहले विमान के साथ ही इन कलपुर्जों का इस्तेमाल होगा।