गया: पंडित धीरेन्द्र शास्त्री उर्फ बागेश्वर बाबा एकबार फिर बिहार आ रहे हैं. एक अक्टूबर से तीन अक्टूबर तक उनका गया में संभावित कार्यक्रम है. लेकिन इसबार बिहार में वह दिव्य दरबार नहीं लगा पाएंगे. धार्मिक नगरी गया में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला 28 सितंबर से शुरू हो रहा है. इस वजह से मगध विश्वविद्यालय परिसर में उन्हें दिव्य दरबार लगाने की अनुमति नहीं दी गई है. इसके साथ ही बाबा बागेश्वर को प्रशासन ने महाबोधि मंदिर और शक्ति पीठ मां मंगलागौरी जाने की भी अनुमति नहीं दी है. पांच महीने पहले बाबा बागेश्वर पटना आए थे तब बाबा बागेश्वर ने 13 से 17 मई तक नौबगतपुर में हनुमंत कथा और दिव्य दरबार लगाया था.
बाबा से हनुमत कथा सुनने और अर्जी लगाने के लिए पांच दिन में 30 लाख लोगों की भीड़ जुटी थी. लोगों की भारी भीड़ देख उत्साहित बाबा ने फिर बिहार आने की बात कही थी. तब सितंबर-अक्टूबर में उनके गयाजी आने और दिव्य दरबार लगाने की बात कही गई थी. इसके बाद बाबा बागेश्वर धाम सरकार के गया में दिव्य दरबार को लेकर बिहार के भक्तों में भारी उत्साह था. लेकिन अब खबर आ रही है कि बाबा बागेश्वर धाम का गया में दिव्य दरबार नहीं लगेगा. पितृपक्ष मेला होने की वजह से उन्हें दरबार लगाने की अनुमति नहीं दी गई है.
गया में पितृपक्ष मेले के दौरान पूर्वजों के आत्मा की शांति के लिए गया के सरयु नदी के किनारे लाखों हिंदू पिंडदान करने के लिए आते हैं. इस दौरान यहां भारी भीड़ होती है. यही वजह है कि गया प्रशासन ने भीड़, यातायात और कानून व्यवस्था की दलील देकर दरबार नहीं लगाने की अनुमति दी है. पंडित धीरेंद्र शास्त्री 01 अक्टूबर से 03 अक्टूबर तक गयाजी में रहेंगे. इस दौरान वह पंचकोशी गयाजी तीर्थक्षेत्र में अपने पूर्वजों का तर्पण और पिंडदान करेंगे. पुजारी गयापाल पंडा उनके कर्मकांड करायेंगे. आचार्य धीरेन्द्र शास्त्री एमपी के छतरपुर जिले के गाढ़ा गांव के रहने वाले हैं. गयापाल पंडा और उनके सहयोगी पंडा बागेश्वर बाबा की वंशावली खंगाल रहे हैं.
बाबा का भले ही दिव्य दरबार नहीं लगेगा. लेकिन वह होटल के हॉल में शिष्यों और चुनिंदा भक्तों से मुलाकात करेंगे. इसके लिए बोधगया के संबोधि रिट्रीट को बुक किया गया है. इस होटल परिसर में दो हॉल है. होटल हॉल में बाबा बागेश्वर अपने चुनिंदा भक्तों और शिष्यों से मिलेंगे. बाबा बागेश्वर जन सेवा समिति की तरफ से कहा गया है कि प्रशासन ने उन्हें गयाजी और बोधगया का इलाका छोड़ जिले के दूसरे हिस्से में दरबार लगाने की अनुमति दी है. लेकिन बाबा अभी सिर्फ पूर्वजों का तर्पण और पिंडदान करेंगे. 2024 में वह एक सप्ताह के लिए गया आएंगे तब वह हनुमत कथा सुनाएंगे और दिव्य दरबार लगाएंगे.