UP एसटीएफ ने शिवसेना के पूर्व विधायक को किया गिरफ्तार
लखनऊ : शिवसेना के पूर्व विधायक को यूपी पुलिस की एसटीएफ विंग ने गिरफ्तार किया है. ये पूरा मामला जमीन की धोखाधड़ी और जालसाजी से जुड़ा है. यूपी पुलिस का कहना है कि एक महिला ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए 8 करोड़ की जमीन 20 लाख रुपए में हड़पने का आरोप लगाया था. आरोपी के खिलाफ केस दर्ज करने के बाद उसकी तलाश की जा रही थी. पुलिस अब आगे की पूछताछ करेगी.
बता दें कि 1990 के दशक में राम मंदिर आंदोलन के दौरान पवन पांडे ने शिवसेना के टिकट पर अंबेडकर नगर जिले की अकबरपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. यूपीएसटीएफ ने एक साल पुराने जमीन धोखाधड़ी और फर्जी दस्तावेज तैयार करने के केस में पवन पांडे की गिरफ्तारी की है. हाईकोर्ट के आदेश पर यूपीएसटीएफ ने साल 2022 में केस दर्ज किया था. अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद पवन पांडे की तलाश की जा रही थी. शुक्रवार शाम यूपीएसटीएफ ने अंबेडकर नगर की अकबरपुर कोतवाली से पांडे को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.
अंबेडकरनगर के अकबरपुर कोतवाली में चंपा देवी ने 5 जून 2022 को पवन पांडे, मुकेश तिवारी, गोविंद यादव समेत 12 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी का आरोप लगाकर एफआईआर दर्ज करवाई थी. आरोप लगाया गया था कि अकबरपुर-बसखारी नेशनल हाइवे पर स्थित 8 करोड़ की जमीन को हथियाने के लिए पवन पांडे और उनके साथियों ने मिलकर पीड़िता के बेटे की पत्नी के रूप में नीतू सिंह का नाम दर्ज कराया. इस दौरान कागजों में बाराबंकी से बनवाए गए आर्य समाज मंदिर के फर्जी प्रमाण पत्र लगाए गए. उसके बाद पीड़िता के बेटे को नशे का आदी बनाया और अगस्त 2020 को उसकी कीमती जमीन 20 लख रुपए में पवन पांडे ने अपने करीबी मुकेश तिवारी के नाम लिखवा ली थी.
पीड़िता का कहना था कि पवन पांडे ने अंबेडकरनगर नगर पालिका के सर्वे अफसर के साथ मिलकर आजमगढ़ की रहने वाली नीतू सिंह नाम की लड़की से उसके बेटे की शादी का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाया और नीतू सिंह का नाम पीड़िता के परिवार रजिस्टर में दर्ज करवाने के लिए अर्जी भी डाली थी. एफआईआर में कहा गया कि पहले उसके बेटे अजय सिंह का बाराबंकी के सफेदाबाद आर्य समाज मंदिर में शादी का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाया गया. उसके 2 घंटे बाद ही बेटे का संदिग्ध परिस्थितियों में एक्सीडेंट करवाया गया.
पीड़िता ने यहां तक कहा कि अगर उसे और उसकी दोनों बेटियों और दामाद को कुछ हो जाता है तो उसके लिए पवन पांडे और उसके साथी जिम्मेदार होंगे. हाई कोर्ट के आदेश पर यूपीएसटीएफ ने इस मामले में जांच शुरू की थी. उसके बाद यूपीएसटीएफ ने पवन पांडे को गिरफ्तार किया.