दुनिया में आने से पहले ही शुरू हो जाता है शिशु का भावनात्मक विकास
दस्तक टाइम्स एजेंसी/ लंदन: गर्भावस्था के दौरान और जन्म लेने के बाद एक वर्ष तक पारिवारिक वातावरण बच्चे के भावनात्मक विकास में अहम भूमिका निभाते हैं। एक नए शोध में यह खुलासा हुआ है। शोध में पाया गया है कि बच्चों के भावनात्मक विकास पर मां और बच्चे के बीच शुरुआती रिश्ते के साथ परिवार प्रणाली के महत्व को उजागर किया गया है।
फिनलैंड के टैंपेयर विश्वविद्यालय के जालू लिंडब्लॉम के अनुसार, “ऐसी संभावना है कि बच्चे अपने पारिवारिक माहौल के अनुकूल खुद को ढालने के लिए अपनी भावनात्मक रणनीति विकसित करते हैं। बच्चे द्वारा खुद को इस तरह ढालने की प्रक्रिया से संभवत: बाद में मानसिक विकार और सामाजिक संबंध बनाने में होने वाली कठिनाइयों को समझा जा सकता है।”
इस शोध के लिए अलग-अलग पारिवारिक वातावरण वाले 10 वर्ष की आयु के 79 बच्चों पर अध्ययन किया गया। शोध के दौरान बच्चों को खुश और दुखी चेहरों वाली तस्वीरें दिखाई गई।
अध्ययन से मिले परिणामों की भावनात्मक दृष्टिकोण से व्याख्या की गई।
निष्कर्षों से पता चलता है कि माता-पिता किसी समस्या या उलझन का जिस संजीदगी से समाधान करते हैं उनकी संतान भी उसी के अनुसार ही समस्याओं को सुलझाती है।
लिंडब्लॉम ने बताया, “यह अध्ययन अटैचमेंट थ्योरी के उन पहलुओं को और व्यापकता प्रदान करता है जिसमें मां-बच्चे के संबंध पर जोर दिया गया है। किसी परिवार को एक पूर्ण इकाई के रूप में देखना चाहिए, जिसमें माता-पिता का वैवाहिक संबंध और जन्म के बाद शुरुआती दिनों में पिता का प्यार भी शामिल होता है। यह कुछ चीजें ऐसी हैं जो संतान के स्वास्थ्य और जन्म से पहले के चरणों के लिए महत्वपूर्ण हैं।”