उत्तराखंड

‘गांव चलो अभियान’ से पलायन मिटाने निकले सीएम धामी

दस्तक ब्यूरो, देहरादून। पलायन, उत्तराखंड की मुख्य समस्या है, जो हर सरकारों की प्राथमिकता में तो रहा, लेकिन दुर्भाग्य से इस मर्ज की दवा कोई दे न सका। परंतु लंबे समय बाद उत्तराखंड में वर्तमान धामी सरकार ने पहाड़ से पलायन को मिटाने के लिए बड़ी पहल की है। इस पहल का नाम है- ‘गांव चलो अभियान’। इस अभियान को पहाड़ों में खुशहाली लाने में सक्षम माना जा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे सफल बनाने का जिम्मा भी खुद उठाया है। इसी के तहत सीएम धामी 10 फरवरी को दो दिवसीय चंपावत भ्रमण पर निकले और डांठा गांव में रात्रि निवास किया। उन्होंने ग्रामीणों के साथ पारंपरिक रूप में समय बिताया।

   सीएम धामी आज 11 फरवरी सुबह मॉर्निंग वॉक में निकले और गांव की महिला, पुरूष व बच्चों के साथ लंबी बातचीत की।

सीएम धामी ने बताया कि उन्होंने ‘गांव चलो अभियान’ शुरू किया है, जिसके तहत गांवों में आर्थिकी के अवसर पैदा किए जा रहे हैं, ताकि ग्रामीणों को रोजगार की तलाश में मैदानी क्षेत्रों का रूख न करना पड़े। सीएम धामी ने ग्रामीणों को पलायन रोकने के लिए सरकार की योजना के बारे में भी जानकारी दी।

सीएम धामी ने पलायन को मिटाने को किए दो प्रयोगः

सीएम धामी ने कहा कि उत्पादन व सांस्कृतिक पर्यटन, ये दो उपाय गांवों की समस्या को खत्म करने में सक्षम हो सकते हैं। उत्पादन के अंतर्गत सरकार गांवों में कृषि, उद्यान एवं बागवानी को प्रोत्साहित कर रही है, इन उत्पादों को ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ ब्रांड के नाम से देश व अन्य देशों में बेचा जाएगा। इसमें उत्पादों की आकर्षक पैकेजिंग होगी, जबकि कई कच्चे माल से फूड प्रोसेसिंग के जरिए विशेष उत्पाद तैयार किए जाएंगे। इन ऑर्गेनिक उत्पादों की देश व अंतर्राष्ट्रीय बाजार में खासी मांग भी है। इससे ग्रामीणों की आय में कई गुना वृध्दि होगी।

 जबकि, दूसरा उपाय है- सांस्कृतिक पर्यटन। इसके तहत गांवों में ‘होम स्टे’ मॉडल को अपनाया जा रहा है। अनेक गांवों को पर्यटकों के रात्रि निवास के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसकी खास बात ये है कि ये घर गांव के कच्चे मकान व काष्ठ-कला से निर्मित रहेंगे और यहां पर्यटकों को आधुनिक सुविधाओं के बजाय पहाड़ी पारंपरिक तरीके से खान-पान व रहन-सहन मुहैया कराया जाता है। इससे पर्यटक यहां की संस्कृति व खान-पान से आकर्षित होंगे। इसके सकारात्मक परिणाम भी मिलने लगे हैं।

राज्य गठन के समय से मुख्य समस्या है पलायनः

बता दें कि उत्तराखंड पलायन आयोग की ओर से जारी रिपोर्ट में सभी पर्वतीय जिलों में बड़े स्तर पर पलायन को स्वीकारा गया है। सबसे ज्यादा पलायन पौड़ी व अल्मोड़ा में पाया गया है। रिपोर्ट में पौड़ी के कई हजार गांवों को ‘घोस्ट विलेज’ (जहां एक भी व्यक्ति न हो) भी घोषित किया गया था। रिपोर्ट में भी कहा गया है कि पलायन का मुख्य कारण स्थानीय लोगों को आर्थिकी के अवसर न मिलना है। जाहिर है कि लंबे समय बाद मौजूदा धामी सरकार ने पलायन की समस्या को गंभीरता से लेते हुए इसके समाधान की दिशा में प्रयास भी शुरू किए हैं।

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