उत्तराखंड

हल्द्वानी हिंसा के मास्टरमाइंड की तलाश, उपद्रवियों को दिल्ली-यूपी में ढूंढ रही पुलिस

नैनीतालः उत्तराखंड के नैनीताल जिले के हल्द्वानी के बनभूलपुरा हिंसा मामले में पुलिस ने अपनी जांच तेज कर दी है. इस कड़ी में हिंसा में शामिल लोगों की तलाश में पुलिस पश्चिमी यूपी के कुछ जिलों में भी दबिश दे रही है. इसके अलावा उपद्रवियों के रिश्तेदारों से भी पुलिस पूछताछ कर रही है. वहीं इस हिंसा का मुख्य आरोपी हाजी अब्दुल मलिक फरार चल रहा है. अब्दुल मलिक की तलाश में पुलिस लगातार सर्चिंग कर रही है. सूचना है कि मलिक दिल्ली में छिपा हो सकता है. पुलिस की कुल 10 टीम उपद्रवियों की खोज में लगी हुई है. पुलिस हल्द्वानी हिंसा की जांच में रोहिंग्या कनेक्शन की भी जांच कर रही है.

बता दें कि बीते शनिवार को कुमाऊं कमिश्नर को जांच की जिम्मेदारी दी गई है. साथ ही 15 दिन में जांच की रिपोर्ट सौंपने की बात कही गई है. सूत्रों के मुताबिक हल्द्वानी दंगे में रोहिंग्या मुस्लिम और अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी लोगों की भूमिका की जांच में पुलिस जुटी हुई है. सूत्रों का कहना है कि बनभूलपुरा में तकरीबन 5 हजार के आसपास रोहिंग्या मुस्लिम और बांग्लादेशी और बाहरी लोग रहते हैं.

सूत्रों के मुताबिक पुलिस को कुछ इनपुट मुखबिरों से मिले हैं कि उपद्रव के दिन कुछ लोग बनभूलपुरा के बाहरी इलाके में रेलवे लाइन के आसपास की झुग्गियों से भी उपद्रवियों के झुंड के बीच में देखे गए थे, जहां पर रोहिंग्या मुस्लिम आबादी रहती है, जिसके बाद पुलिस चौकन्ना हो गई है. हलद्वानी पुलिस इन संदिग्धों के रिकॉर्ड को ट्रैक कर रही है. 8 फरवरी को हिंसा की रात में अंधेरे का फायदा उठाकर कई उपद्रवी हल्द्वानी छोड़कर दूसरे राज्यों में चले गए. पुलिस की करीब 10 टीम फरार हुए उपद्रवियों की तलाश में रामपुर, बरेली, मुरादाबाद, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों और दूसरे राज्यों में भी उनकी तलाश कर रही है. सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल वीडियो और जांच के आधार पर पुलिस अब उपद्रवियों को उनके घर से निकलकर गिरफ्तार कर रही है.

आज सुबह से बनभूलपुरा को छोड़कर दूसरे इलाकों में इंटरनेट सेवा बहाल कर दी गई है. बनभूलपुरा, रेलवे बाजार, कारखाना बाजार, गांधी नगर के आसपास के इलाके को छोड़कर शहर के दूसरे इलाकों में इंटरनेट सेवा बहाल हो गई है. लेकिन सोशल मीडिया पर पुलिस की नजर बनी हुई है. पुलिस ने कहा है कि अफवाह फैलाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा.

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