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मुंगेर में गंगा का जलस्तर बढ़ने से बाढ़ का खतरा बढ़ा, निचले इलाकों में पानी भरने से जनजीवन प्रभावित

मुंगेर : मुंगेर में गंगा नदी का जलस्तर दो दिन स्थिर रहने के बाद एक बार फिर से तेजी से बढ़ने लगा है, जिससे बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। गंगा के बढ़ते जलस्तर के कारण निचले इलाकों में पानी का दबाव बढ़ गया है, और पानी तेजी से फैलने लगा है। दियारा क्षेत्र के तीन पंचायतों के एक दर्जन से अधिक टोला और गांव पानी से घिर गए हैं, और नदी-नालों के माध्यम से बाढ़ का पानी अन्य क्षेत्रों में भी पहुंचने लगा है।

केंद्रीय जल आयोग से मिली जानकारी के अनुसार, गंगा का जलस्तर 38.11 मीटर तक पहुंच चुका है, और इसमें प्रति घंटे 2 सेंटीमीटर की दर से वृद्धि हो रही है। वर्तमान में गंगा का जलस्तर वार्निंग लेबल से 16 सेंटीमीटर नीचे है, लेकिन अगर इसी रफ्तार से पानी बढ़ता रहा, तो जल्द ही यह वार्निंग लेबल 38.33 मीटर को पार कर जाएगा। पिछले 23 घंटों में जलस्तर में 29 सेंटीमीटर की वृद्धि दर्ज की गई है।

गंगा के जलस्तर में वृद्धि के कारण दियारा क्षेत्र के निचले इलाकों में पानी तेजी से फैल रहा है। सीताचरण, टीकारामपुर, और कुतलुपुर बहियार के सैकड़ों एकड़ खेतों में पानी भर गया है, जिससे फसलें और पशु चारा प्रभावित हुआ है। कुतलुपुर, जाफरनगर, और टीकारामपुर पंचायत के अधिकांश गांव बाढ़ के पानी से घिर गए हैं। जाफरनगर पंचायत से निकलने वाली सड़क पर भी तीन फीट तक पानी खड़ा हो गया है, जिससे ग्रामीणों की परेशानी बढ़ गई है।

बाढ़ के पानी के फैलने से पशुओं के रख-रखाव में पशुपालकों को गंभीर समस्याएं हो रही हैं। हरे पशु चारे के खेतों के डूबने से पशुओं के लिए चारे की समस्या उत्पन्न हो गई है। किसानों का कहना है कि अगर इसी रफ्तार से जलस्तर में वृद्धि होती रही, तो बाढ़ आ जाएगी, और लोगों को अपने घर-बार छोड़ने पर मजबूर होना पड़ सकता है।

मुंगेर में गंगा का बढ़ता जलस्तर न केवल किसानों और पशुपालकों के लिए चिंता का कारण बन रहा है, बल्कि पूरे जिले के लिए एक गंभीर समस्या का संकेत दे रहा है। अगर जलस्तर इसी तरह बढ़ता रहा, तो आने वाले दिनों में बाढ़ के कारण व्यापक नुकसान हो सकता है।

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