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जम्मू-कश्मीर में बाढ़ का कहर से सेब के बाग और धान की फसल तबाह, किसानों पर पड़ रही आफत की मार

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में पिछले कई दिनों से हो रही भारी बारिश ने कहर बरपाया है। 4 सितंबर 2025 को झेलम नदी का तटबंध टूटने से तीन जिलों के कई शहरी इलाकों में बाढ़ का पानी घुस गया जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। इस गंभीर स्थिति के बाद प्रशासन को लगभग 9,000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना पड़ा। वहीं किसानों को भी भारी आफत का सामना करना पड़ रहा है। बाढ़ के कहर से सेब के बाग और धान की फसल तबाह हो चुकी है।

किसानों को भारी नुकसान

बारिश के कारण हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि जलमग्न हो गई है। इसका सबसे बुरा असर धान के खेतों और सेब के बागों पर पड़ा है। किसानों का कहना है कि जलभराव के कारण सेब के पेड़ों में द्वितीयक स्कैब रोग फैलने का खतरा बढ़ गया है जिससे उनकी फसल बर्बाद हो सकती है। इसके अलावा कई जगह पेड़ों के उखड़ने की भी चेतावनी दी गई है।

सरकार और प्रशासन की कार्रवाई

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस आपदा के लिए पिछली सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि बाढ़ के खतरों को कम करने के लिए पर्याप्त उपाय नहीं किए गए थे। फिलहाल राहत और बचाव कार्यों के लिए एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, पुलिस और राजस्व विभाग के सैकड़ों कर्मियों को तैनात किया गया है। ये टीमें निचले इलाकों में फंसे लोगों को निकालने और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का काम कर रही हैं।

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