नीतीश कुमार ने 10वीं बार सीएम पद की शपथ ली ;सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की, पीएम मोदी समेत कई दिग्गज नेता रहे मौजूद

पटना। नीतीश कुमार ने 10वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। यह उनका मुख्यमंत्री के रूप में 10वां कार्यकाल होगा। राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने नीतीश कुमार को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। उनके साथ सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी के अलावा, समारोह में देश के गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस भी उपस्थित रहें। नीतीश कुमार का राजनीतिक सफर चार दशकों का है। उनकी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत 1985 में जनता दल से हुई थी, जब उन्होंने पहली बार विधानसभा चुनाव जीता। शुरुआती वर्षों में उन्होंने लालू प्रसाद यादव के साथ मिलकर काम किया। जब 1989 में लालू प्रसाद विपक्ष के नेता बने थे, लेकिन धीरे-धीरे मनमुटाव के कारण नीतीश कुमार और उनकी साझेदारी टूट गई।
1994 में, नीतीश ने लालू प्रसाद के खिलाफ एक महत्वपूर्ण विद्रोह में भाग लिया, जिसमें 14 सांसदों ने जॉर्ज फर्नांडीस के नेतृत्व में दल-बदल कर जनता दल (जॉर्ज) बनाई, जो बाद में समता पार्टी में तब्दील हो गई। यह नीतीश कुमार के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक मोड़ था, क्योंकि उन्होंने लालू से अलग होकर अपनी स्वतंत्र राजनीतिक पहचान बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया। 1996 में उन्होंने भाजपा से हाथ मिलाया, जो उनके लिए एक लंबा और अक्सर उथल-पुथल भरा गठबंधन साबित हुआ। वे अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में रेलवे मंत्री रहे, जहां उन्होंने कई सुधारों की शुरुआत की थी और अच्छा प्रदर्शन किया था।
नीतीश कुमार का मुख्यमंत्री बनने का पहला दौर 2000 में हुआ था, लेकिन गठबंधन में संख्याबल की कमी के कारण उनकी सरकार सात दिन के भीतर गिर गई। 2005 में उनकी शानदार वापसी हुई, जब उन्होंने लालू प्रसाद यादव के 15 साल के शासन को समाप्त किया और बिहार में ‘नए दौर’ की शुरुआत की। नीतीश कुमार ने लगभग एक दशक तक बिना किसी गंभीर राजनीतिक चुनौती के शासन किया। 2013 में भाजपा से रिश्ते टूटने के बाद नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित करने के खिलाफ विरोध जताया। यह कदम राजनीतिक अस्थिरता का कारण बना और जनता दल (यूनाइटेड) की स्थिति कमजोर हुई। 2015 में, नीतीश ने लालू प्रसाद यादव के साथ मिलकर महागठबंधन का गठन किया और भाजपा को हराकर सत्ता में लौटे। हालांकि, यह साझेदारी भी ज्यादा दिन नहीं चली और 2017 में नीतीश कुमार ने गठबंधन छोड़ दिया और फिर से भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में शामिल हो गए।
2022 में भाजपा पर जनता दल (यूनाइटेड) को तोड़ने का आरोप लगाते हुए नीतीश ने एनडीए से बाहर निकलकर महागठबंधन में वापसी की, लेकिन यह अध्याय भी सिर्फ दो साल चला। अब 2024 के आम चुनावों से ठीक पहले नीतीश कुमार ने फिर से एनडीए में वापसी की। एनडीए के साथ नीतीश कुमार का साथ फिलहाल बरकरार है और इसी का नतीजा है कि 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए ने दूसरी बार 200 से अधिक का आंकड़ा पार किया। 2010 में एनडीए को 206 सीटें मिली थीं और इस बार भाजपा-जदयू वाले गठबंधन ने 202 सीटों पर जीत हासिल की है।



