उत्तर प्रदेशलखनऊ

अखिलेश ने मौर्य का किया बचाव, बोले- सदन में CM योगी से रामचरितमानस में इस्तेमाल ‘ताड़ना’ शब्द की व्याख्या पूछूंगा

फिरोजाबाद: श्रीरामचरितमानस (Shri Ramcharitanas) पर आपत्तिजनक टिप्पणी करके विवादों (Controversy) से घिरे सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) का बचाव करते हुए पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने कहा है कि वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM yogi Adityanath) से विधानसभा सदन (Assembly House) में इस महाकाव्य की एक चौपाई में इस्तेमाल किए गए ‘ताड़ना’ शब्द की व्याख्या पूछेंगे।

सपा अध्यक्ष ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा “हमारे मुख्यमंत्री एक संस्थान से निकले हैं और वह योगी हैं। मैं उनसे विधानसभा सदन में यह पूछूंगा कि श्रीरामचरितमानस में जिन पंक्तियों का जिक्र इस वक्त चल रहा है उनमें ताड़ना शब्द का इस्तेमाल किन लोगों के लिए किया गया है और वह किन पर लागू होती है।” उन्होंने कहा “हम तो राम और कृष्ण दोनों के साथ-साथ विष्णु के भी सभी अवतारों को मानने वाले हैं। सवाल स्वामी प्रसाद मौर्य की टिप्पणी का नहीं है। सवाल उन पंक्तियों का है।” स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने के सवाल पर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा “भाजपा किसी के भी खिलाफ मुकदमा दर्ज करा सकती है।” मौर्य को सपा में राष्ट्रीय महासचिव बनाए जाने के औचित्य के सवाल पर यादव ने कहा “यह संगठन की एक प्रक्रिया है। सपा जनता तक पहुंचने के लिए हर वर्ग के लोगों को प्रतिनिधित्व देगी और अपनी बात रखेगी।”

गौरतलब है कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने इसी महीने 22 जनवरी को श्रीरामचरितमानस की एक चौपाई का जिक्र करते हुए कहा था कि उनमें पिछड़ों, दलितों और महिलाओं के बारे में आपत्तिजनक बातें लिखी हैं, जिससे करोड़ों लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचती है। लिहाजा इस पर पाबंदी लगा दी जानी चाहिए। मौर्य की इस टिप्पणी को लेकर काफी विवाद उत्पन्न हो गया था। साधु-संतों तथा भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने उनकी कड़ी आलोचना की थी। उनके खिलाफ लखनऊ में मुकदमा भी दर्ज किया गया। उनके समर्थन में आए एक संगठन के कार्यकर्ताओं ने रविवार को श्रीरामचरितमानस के कथित आपत्तिजनक अंश की प्रतियां जलाई थीं। इस मामले में भी आज मुकदमा दर्ज हुआ है। उसमें स्वामी प्रसाद मौर्य को भी आरोपी बनाया गया है। सपा अध्यक्ष ने एक अन्य सवाल पर कहा कि जिस तरह भारतीय स्टेट बैंक और भारतीय जीवन बीमा निगम ने निजी कंपनियों के शेयर खरीदे और लगभग एक लाख करोड़ रुपए का नुकसान उठाया, क्या सरकार इन संस्थाओं के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी।

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