अन्तर्राष्ट्रीय

भारत के खिलाफ अमेरिका की पहली बड़ी कार्रवाई, तेल कंपनी पर लगाया प्रतिबंध

वॉशिंगटन : भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर का 10 दिनों का मैराथन यूएस दौरा खत्म होते ही अमेरिका ने भारत के खिलाफ पहली बड़ी कार्रवाई की है और एक भारतीय तेल कंपनी पर प्रतिबंध लगा दिए हैं। द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका ने मुंबई स्थित फर्म तिबालाजी पेट्रोकेम प्राइवेट लिमिटेड पर प्रतिबंधों की घोषणा कर दी है, क्योंकि इस तेल कंपनी ने शुक्रवार को ईरान के साथ तेल व्यापार करने की बात कही थी। वहीं, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने चेतावनी देते हुए कहा है कि, अमेरिका ऐसे दंडात्मक कार्रवाइयों में तेजी से इजाफा करेगा, यानि आने वाले दिनों में कई और भारतीय कंपनियों के खिलाफ प्रतिबंधों का ऐलान किया जा सकता है।

अमेरिका का ये प्रतिबंधात्मक कार्रवाई किसी भारतीय कंपनी के खिलाफ इस तरह का पहला प्रतिबंध है, और यह विदेश मंत्री एस जयशंकर की अमेरिका यात्रा खत्म होने के फौरन बात किया गया है। यानि, बहुत साफ संकेत मिल रहे हैं, कि भारतीय विदेश मंत्री ने अमेरिका को जो आइना दिखाया है, वो उसे पसंद नहीं आया है। भारतीय विदेश मंत्री ने अमेरिका दौरे के दौरान बाइडेन प्रशासन के सामने ईरान और वेनेजुएला से तेल आयात नहीं करने देने को लेकर शिकायत की थी और जयशंकर ने साफ शब्दों में कहा था, कि तेल की भारी कीमत भारत की ‘पीठ तोड़ रही है।’ आपको बता दें कि, डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने साल 2019 में ईरान के खिलाफ सख्त प्रतिबंधों की घोषणा की थी और उसके बाद से ही भारत को ईरान से तेल खरीददारी बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा था। अमेरिकी प्रतिबंध से पहले भारत, ईरानी तेल का चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा खरीदार था।

आधिकारिक सूत्रों ने द प्रिंट को बताया कि, तिबालाजी पेट्रोकेम प्राइवेट लिमिटेड कंपनी पर लगाए गये प्रतिबंधों को लेकर भारत सरकार सतर्क है और सरकार इस पूरे मामले पर ध्यान दे रही है। आपको बता दें कि, तिबालाजी पेट्रोकेम प्राइवेट लिमिटेड एक वाणिज्यिक इकाई है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस कंपनी पर सेकेंड्री प्रतिबंध लगाए गये हैं। इस कंपनी की स्थापना 2018 में की गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, इस कंपनी ने ईरानी ट्रिलियंस पेट्रोकेमिकल कंपनी लिमिटेड से लाखों अमेरिकी डॉलर्स के तेल और पेट्रोकेमिकल्स प्रोडक्ट्स खरीदे हैं। वहीं, यूएस ट्रेजरी डिपार्टमेंट ने भारतीय कंपनी पर लगाए गये प्रतिबंधों के बाद कहा है कि, “भारत स्थित पेट्रोकेमिकल कंपनी तिबालाजी पेट्रोकेम प्राइवेट लिमिटेड ने ईरानी ट्रिलियंस पेट्रोकेमिकल से लाखों डॉलर के तेल खरीदकर उसे चीन भेज दिया।” अमेरिका ने भारतीय कंपनी के अलावा सात और कंपनियों पर भी प्रतिबंध लगाए हैं, जो संयुक्त अरब अमीरात, हांगकांग और चीन की हैं।

वहीं, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा है कि, ‘ईरान अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम को तेजी से आगे बढ़ा रहा है और वो जेसीपीओए का उल्लंघन कर रहा है, लिहाजा हम ईरानी तेल व्यापार पर प्रतिबंधों में और तेजी लाएंगे।’ वहीं, अमेरिकी प्रतिबंधों को लेकर अभी तक भारत सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि, अमेरिकी प्रतिबंध चिंताजनक है और प्रतिबंध लगाने की टाइमिंग भी सही नहीं है, क्योंकि भारतीय विदेश मंत्री अभी अपना दौरा खत्म कर अमेरिका से लौटे ही हैं। उन्होंने अमेरिका के कई वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मुलाकात की थी, जिनमें अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन भी शामिल थे। एस. जयशंकर ने अमेरिकी एनएसए जैक सुलिवन और वाणिज्य मंत्री जीएम रेमंडो से भी मुलाकात की थी।

भारत ने हालिया वक्त में एक बार फिर से ईरान की तरफ ध्यान देना शुरू कर दिया है और भारत कई बार घरेलू बाजार में तेल की कीमतों का जिक्र करते हुए ईरानी तेल से प्रतिबंध हटाने के लिए अमेरिका से कह चुका है। वहीं, भारत सरकार ने आईएनएसटीसी यानि, इंटरनेशनलन नॉर्थ साउथ कॉरिडोर पर भी काफी ध्यान दिया है, जो रूस को ईरान के चाबहार पोर्ट से जोड़ता है, जिसका निर्माण भारत ने करवाया है। वहीं, पीएम मोदी की इसी महीने उज्बेकिस्तान के समरकंद में ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी के साथ द्विपक्षीय मुलाकात हुई थी, जिसमें ईरान ने एक बार फिर से भारत से तेल खरीदने का आग्रह किया है। वहीं, रिपोर्ट है कि, ईरान ने 30 प्रतिशत डिस्काउंट पर भारत को तेल बेचने का प्रस्ताव रखा है और इस ऑफर पर फैसला लेने के लिए भारत तो ईरान ने 90 दिनों का वक्त दिया है। वहीं, पीएम मोदी और ईरानी राष्ट्रपति ने कनेक्टिविटी लिंक पर भी जोर दिया था, जिसका मकसद व्यापार को सरल और सुगम बनाना है।

आरओसी फाइलिंग के मुताबिक, मार्च 2021 तक तिबालाजी पेट्रोकेम प्राइवेट लिमिटेड का टर्नओवर 597.26 करोड़ था। जब साल 2018 में कंपनी की स्थापना की गई थी, उस वक्त कंपनी का नाम Tiba Petrochemical था, लेकिन मार्च 2020 में कंपनी ने अपना नाम बदलकर Tibalaji Petrochem Pvt. Ltd कर लिया। वहीं, कंपनी ने इस साल जनवरी में घोषणा की थी, कि वो एग्रीकल्चर सेक्टर में भी कारोबार करेगी। आपको बता दें कि, बाइडेन प्रशासन ईरान परमाणु समझौते पर फिर से बातचीत करना चाहता है। लिहाजा बाइडेन के विदेश मंत्री ब्लिंकन ने कहा कि, “ईरान के तेल और पेट्रोकेमिकल निर्यात को गंभीर रूप से प्रतिबंधित करने के उद्देश्य से” ये प्रवर्तन नियमित आधार पर जारी रहेगा। उन्होंने कहा, “अगर कोई अमेरिकी प्रतिबंधों से बचना चाहता है, तो इन अवैध बिक्री और लेनदेन को सुविधाजनक बनाने में शामिल किसी भी व्यक्ति के साथ फौरन कारोबार को बंद कर देना चाहिए।”

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