राजस्थानराज्य

भजनलाल सरकार ने अपनाया सख्त रवैया, 9 डॉक्टर्स और 11 कर्मचारियों के खिलाफ दर्ज होगी FIR

जयपुर: सिलिकोसिस रोगियों के गलत प्रमाणीकरण और अनियमित भुगतान के मामले में सूबे की भजनलाल सरकार ने सख्त रुख अपना लिया है. इस मामले में स्वास्थ्य विभाग ने ना सिर्फ दोषी कार्मिकों के खिलाफ चार्जशीट जारी करने के आदेश दे दिए हैं बल्कि उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की भी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. स्वास्थ्य विभाग इस मामले में दौसा जिले के 9 डॉक्टर्स और 11 कार्मिकों को पहले ही एपीओ कर चुका है.

इस केस में कुछ लोगों को गलत प्रमाण पत्र जारी कर उनको सिलिकोसिस रोगी बता दिया गया था. बाद में उनको सिलिकोसिस नीति के अनुसार भुगतान कर राज्य सरकार को लाखों रुपये की चपत लगा दी गई थी. इस मामले में राज्य सरकार अब पूरी तरह से एक्शन मोड में आ गई है. इस केस में एसएमएस मेडिकल कॉलेज की चेस्ट रेडियोग्राफ कमेटी और जिला कलेक्टर दौसा की जिला स्तरीय कमेटी की ओर से पेश की गई रिपोर्ट में रोगियों को गलत प्रमाण पत्र जारी करना पाया गया था.

उसके बाद अब इस मामले में चिकित्सा मंत्री के निर्देश के बाद स्वास्थ्य विभाग ने सख्त रुख अपना लिया है. स्वास्थ्य विभाग ने रिपोर्ट में दोषी पाए गए कार्मिकों के खिलाफ चार्जशीट के आदेश जारी कर दिए हैं. वहीं दोषी कार्मिकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है. स्वास्थ्य विभाग के निदेशक डॉ.रवि प्रकाश माथुर ने बताया कि जांच में दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है.

दरअसल, पॉलिसी के अनुसार सिलिकोसिस रोगी को राज्य सरकार की ओर से 3 लाख रुपये सहायता दी जाती है. अगर मरीज की मौत हो जाती है तो उसे 2 लाख 10 हजार रुपये और दिए जाते हैं. इसके अन्य लाभ भी राज्य सरकार की ओर से दिए जाते हैं. स्वास्थ्य विभाग के निदेशक डॉ. रवि प्रकाश माथुर ने बताया कि रिव्यू में सामने आया कि पूरे प्रदेश में सिलिकोसिस मरीजों के जितने मामले सामने आए थे उनमें से 44 फीसदी सिर्फ दौसा जिले में सामने आए थे. ऐसे में आशंका होने पर जांच कराई गई तो पूरा मामला सामने आ गया.

उन्होंने बताया कि एक ही मरीज के एक्सरे को बार बार उपयोग में लेकर दूसरों के सर्टीफिकेट बना दिए गए. इसके अलावा जिनको सिलिकोसिस बीमारी नहीं थी उन्हें भी सिलिकोसिस का मरीज बनाकर कर प्रमाण पत्र जारी कर दिए गए. बताया रहा है कि सिर्फ दौसा जिले में ही साढ़े 12 करोड़ का भुगतान कर दिया गया. यह मामला विधानसभा चुनाव से पहले सामने आया था. लेकिन सत्ता बदलने के साथ ही अब इस मामले में सख्त एक्शन लिया गया है.

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