कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के संभावित गठबंधन पर मंथन, क्या राहुल गांधी बीजेपी की रणनीति का तोड़ ढूंढ रहे हैं?
नई दिल्ली: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 को लेकर कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही अपनी चुनावी रणनीतियों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। इस बीच कांग्रेस के भीतर एक नई चर्चा शुरू हो गई है, जिससे सियासी गलियारों में हलचल मच गई है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की बैठक में आम आदमी पार्टी (AAP) के साथ संभावित गठबंधन पर विचार किया है। इस कदम से कई सवाल उठ रहे हैं और राजनीतिक विश्लेषक यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि इसका सियासी परिदृश्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
राहुल गांधी के ताजा बयान
राहुल गांधी ने कांग्रेस नेताओं से हरियाणा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन पर राय मांगी है। यह खबर कांग्रेस के नेताओं के बीच गहरी चिंता का कारण बन गई है, खासकर तब जब हरियाणा कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और लोकसभा सांसद कुमारी शैलजा ने पिछले महीने स्पष्ट किया था कि उनकी पार्टी राज्य में अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस अपने बलबूते पर चुनावी मैदान में उतरेगी और गठबंधन की कोई योजना नहीं है। हालांकि, राहुल गांधी के ताजा बयान से यह संकेत मिलता है कि कांग्रेस पार्टी ने अपनी रणनीति में बदलाव की संभावना को खारिज नहीं किया है। अगर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन होता है, तो यह हरियाणा के राजनीतिक परिदृश्य को पूरी तरह बदल सकता है।
कांग्रेस और AAP का गठबंधन
हरियाणा विधानसभा की 90 सीटें हैं, और यदि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन होता है, तो यह गठबंधन किसे कितना लाभ पहुंचाएगा, यह भविष्य के गर्भ में है। माना जा रहा है कि आम आदमी पार्टी इस गठबंधन के तहत कम से कम 25 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, खासकर उन सीटों पर जहां गैर-जाट, ओबीसी समुदाय की अधिकता है।
बीजेपी की रणनीति का जवाब
एक महत्वपूर्ण सवाल यह भी है कि क्या राहुल गांधी आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन करके बीजेपी की गैर-जाट वोटों पर आधारित राजनीति का जवाब ढूंढ रहे हैं। हरियाणा में जाट वोटों का बंटवारा कांग्रेस, इनेलो और जजपा के बीच होने की संभावना है। ऐसे में अगर कांग्रेस को गैर-जाट वोटों का समर्थन नहीं मिलता, तो पार्टी की हार की संभावना बढ़ सकती है। राहुल गांधी का गठबंधन पर जोर देना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि बीजेपी के खाते में दलित, ओबीसी और सामान्य वर्ग के वोट जा सकते हैं। कांग्रेस इस स्थिति से बचने के लिए और हरियाणा में चुनावी सफलता की उम्मीद में गठबंधन के विकल्प पर विचार कर रही है। हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के संभावित गठबंधन पर अंतिम निर्णय आगामी सीईसी बैठक में लिया जा सकता है। राहुल गांधी की रणनीति क्या सफल होगी, यह देखना बाकी है, लेकिन इस कदम से हरियाणा की राजनीति में नए समीकरण बन सकते हैं।