साहित्य

क्यों जरूरी है राम मंदिर

रामकुमार सिंह स्तम्भ: राम हम सभी के आधारभूत अविनाशी तत्व जो जड और चेतन सबमे विद्मान। कही व्यक्त रूप से…

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‘ढोंगी लंपट चोर ही, देते जग को सीख’, रचना को मिली काफी सराहना

लखनऊ: जानकीपुरम,लखनऊ स्थित ‘भूषण सदन ‘ में सामाजिक-सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संस्था ‘सुन्दरम् ‘ के तत्वावधान में आयोजित मासिक आयोजन में…

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कैसे प्रकट करे अपने अंदर बैठी दुर्गा को।

रामकुमार सिंह मॉ भगवती हम सभी के अंदर प्राण शक्ति के रूप में विद्यमान हैं, आईये अपने अंदर ही छुपी…

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‘जज्बात, जुनून, जन्नत’ युवा पीढ़ी को सामाजिक सरोकारों से जोड़ने में सक्षम

लखनऊ। प्रख्यात साहित्यकार पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ द्वारा लिखित 17वीं पुस्तक एवं उर्दू भाषा में प्रकाशित पुस्तक  ‘जज्बात, जुनून, जन्नत’…

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गूगल बाबा से नहीं, गुरु से मिलता ज्ञान

लखनऊ, 16 सितम्बर, 2019: ‘काव्य  क्षेत्रे’ साहित्यिक संस्था के तत्वावधान में हिंदी दिवस के अवसर पर आयोजित सम्मान समारोह एवं…

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आत्म साक्षात्कार के आध्यात्मिक प्रयासों को शक्ति देता है सामूहिक ध्यान: योगदा सत्संग

लखनऊ: योगदा सत्संग ध्यान केंद्र, लखनऊ, द्वारा आयोजित तीन दिवसीय साधना संगम के दूसरे दिवस की शुरुआत सामूहिक शक्ति संचार…

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क्रिया योग साधना के अद्भुत लाभ : स्वामी कृष्णानन्दा

शक्ति संचार और व्यायाम कि 38 एक्सरसाइज शरीर में करती है अत्याधिक स्फूर्ति का संचार लखनऊ : योगदा सत्संग ध्यान…

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देश का पहला ‘पुस्तक-गाँव’

जय प्रकाश मानस सतारा के पंचगनी से लेकर महाबलेश्वर तक की सरजमीं को सुरम्य बनानेवाली पहाड़ी जनपद में छोटी-सी बस्ती…

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शमी के समीप क्षण भर…

जय प्रकाश मानस बहुत दिनों के बाद आज छत पर पहुँचा तो पाया कि बाक़ी पौधे तो शांत और गंभीर…

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तो ऐसे थे खय्याम साहब…

जय प्रकाश मानस अपनी सफलता में औरों को एकाध शख़्सियत ही श्रेय दे पाते हैं । खय्याम साहब ऐसे ही…

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कपड़ों को खिलाओ दावत !

जय प्रकाश मानस मशहूर लेखक जार्ज बर्नाड शा को एक दावत में आमंत्रित किया गया था और वो अपने काम…

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भीख में मिली किताब ने बनाया कार्टूनिस्ट

जय प्रकाश मानस ”मैंने सबसे पहला कार्टून तब बनाया जब मैं स्कूल में पढ़ रहा था । काफ़ी ग़रीब होने…

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कहीं आपकी भाषा समाप्त न हो जाये !

जय प्रकाश मानस पीपुल्स लिंग्विस्टिक सर्वे ऑफ इंडिया (पीएलएसआई) नामक संस्था ने चिंता जताई है : “अगले 50 सालों में…

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घने जंगलों के बीच महकता कोई वनफूल

जय प्रकाश मानस मैं तो उस जगह की कल्पना ही नहीं कर सका था. यह तो मेरे प्रिय मित्र और…

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सम्पूर्णता से खिलने के लिए दीर्घजीवन जरूरी नहीं

हृदयनारायण दीक्षित : जीवन दिक्काल में है। कभी कभी काल का अतिक्रमण भी करता है जीवन इसलिए जीवन की कालगणना सतही…

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‘पृथ्वी माता है और आकाश पिता’

हृदयनारायण दीक्षित : सभी जीव मां का विस्तार हैं। मां न होती तो हम भी न होते। मां सृष्टि की…

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प्राकृतिक व्यवस्था है धर्म

हृदयनारायण दीक्षित : धर्म प्राकृतिक व्यवस्था है। भारत की धर्म देह विराट है। यह संपूर्ण अस्तित्व को आच्छादित करती है।…

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मैं मॉरीशस का गन्ना हूँ…

मॉरीशस से सविता तिवारी मैं गन्ना हूं, मॉरीशस का गन्ना, मॉरीशस का सबसे बुजुर्ग नागरिक हूँ मेरी उम्र तीन सौ…

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11 जुलाई : विश्व जनसंख्या दिवस पर विशेष लेख

संन्यासी जीवन जीकर संसार में लोक कल्याण की मिसाल प्रस्तुत करने वाले महापुरूषों की मानव जाति सदैव ऋणी रहेगी! लखनऊ…

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हजारों वर्ष प्राचीन और परिपूर्ण है ऋग्वेद

हृदयनारायण दीक्षित : वेद लोकमान्य हैं। ऋग्वेद प्राचीनतम है ही। प्राचीनतम को जानने की रूचि स्वाभाविक हैं। विश्व के सभी…

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ऋग्वेद में अग्नि उपासना

हृदयनारायण दीक्षित : अग्नि ऋग्वेद के प्रतिष्ठित देवता हैं। ऋग्वेद के मंत्रोदय के पहले से ही भारत के लोग अग्नि…

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वैदिक समाज में गाय और अश्व

हृदयनारायण दीक्षित : भारतीय जनमानस वैदिक काल से ही गाय के प्रति श्रद्धालु व अश्व के प्रति प्रेम से परिपूर्ण रहा…

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वैदिक काल में उन्नतिशील था कृषि कर्म

हृदयनारायण दीक्षित : वैदिक काल में हमारे पूर्वज आर्य कहे जाते थे। ऋग्वेद इन्हीं आर्यो की रचना है। कुछेक विद्वानों…

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‘काव्य क्षेत्रे काव्य किरीट सम्मान-2019’ से ओम नीरव सम्मानित

लखनऊ: पर्यावरण सप्ताह के मौके पर साहित्यिक व सामाजिक संस्था  काव्य क्षेत्रे के तत्वावधान में ” काव्य व सम्मान समारोह का…

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न.जाने क्यों….मेरा “हामिद” याद आता है वो “माँ” की चिमटी के साथ….

ईदगाह कहानी: रमजान के पूरे तीस रोजों के बाद ईद आयी है। कितना मनोहर, कितना सुहावना प्रभाव है। वृक्षों पर…

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मन के तल पर होता है दुख और सुख का अनुभव

हृदयनारायण दीक्षित : मन शक्तिशाली है। दुख और सुख का अनुभव मन के तल पर होता है। मन हमारे अनुसार…

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किसी कुत्सित धारणा के आधार पर सत्य से भिन्न बोलना समाज विरोधी है

‘सत्य का आग्रह’ वैदिक काल से प्राचीन है। हृदयनारायण दीक्षित : सत्याग्रह सत्य का आग्रह है। भारत में सत्य के…

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प्रकृति से शांतिप्रिय हैं भारतवासी, शांतिप्रियता का अनुचित लाभ उठाते थे अंगे्रज

हृदयनारायण दीक्षित : भारतवासी प्रकृति से शांतिप्रिय हैं। इसके कारण उनकी उदात्त सभ्यता में खोजे जाने चाहिए। शांतिप्रियता उत्कृष्ट जीवन…

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