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‘जज्बात, जुनून, जन्नत’ युवा पीढ़ी को सामाजिक सरोकारों से जोड़ने में सक्षम

लखनऊ। प्रख्यात साहित्यकार पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ द्वारा लिखित 17वीं पुस्तक एवं उर्दू भाषा में प्रकाशित पुस्तक  ‘जज्बात, जुनून, जन्नत’ का भव्य विमोचन मोती महल वाटिका में चल रहे नेशनल बुक फेयर के साँस्कृतिक पाण्डाल में बड़ी हुआ. उल्लासपूर्ण माहौल व तालियों की जोरदार गड़गड़ाहट के बीच मंचासीन विशिष्ट हस्तियों ने पुस्तक ‘जज्बात, जुनून, जन्नत’ का विमोचन किया. समारोह का शुभारम्भ पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ के पूज्य माता-पिता एवं पुस्तक के मार्गदर्शक मिहीलाल शर्मा व रेशम देवी के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन से हुआ. इस अवसर पर ख्यातिप्राप्त लेखकों, साहित्यकारों, शिक्षाविदो, समाजसेवियों एवं प्रशासनिक अधिकारियों ने बड़ी संख्या में समारोह की गरिमा बढ़ायी. इसके साथ पुस्तक के विभिन्न पहलुओं की चर्चा करते हुए सामाजिक व्यवस्था में युवा पीढ़ी के योगदान की अपील की.

प्रख्यात साहित्यकार प. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ की 17वीं पुस्तक का विमोचन

समारोह में इंकलाब उर्दू के स्थानीय संपादक जिलानी खान अलीग मुख्य अतिथि थे. वहीं विशिष्ट अतिथियों में डा. जगदीश गाँधी (संस्थापक, सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ), उमेश चन्द्र तिवारी (आईएएस), सैयद रफत जुबैर रिजवी (समाजसेवी), श्रीमती रमा आर्य ‘रमा’, (प्रख्यात कवियत्री), डा. सुल्तान शाकिर हाशमी (शिक्षाविद् एवं वरिष्ठ पत्रकार), टीपी हवेलिया (समाजसेवी), मो.गुफरान नसीम, (वरिष्ठ पत्रकार) ने समारोह की रौनक में चार-चाँद लगा दिये. विमोचन समारोह की अध्यक्षता नवाब जफर मीर अब्दुल्ला ने की. इससे पहले समारोह का शुभारम्भ ईश वंदना  एवं लेखक पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ द्वारा स्वलिखित माता-पिता की आरती से हुआ. वही प्रत्यूष रत्न पाण्डेय ने ओजस्वी वाणी में समारोह का संचालन कर विमोचन समारोह को यादगार बना दिया.

देश को ऐसे ही प्रेरणादायी लेखकों की जरूरत  : सैयद रफत

मुख्य अतिथि जिलानी खान अलीग  ने कहा कि संस्कारों, जीवन मूल्यों व नैतिक उत्थान से परिपूर्ण पारिवारिक-सामाजिक ढांचे पर आधारित उर्दू भाषा में पुस्तक की कमी एक अर्से से पुस्तक प्रेमियों को अखर रही थी और ‘जज्बात, जुनून, जन्नत’ इस कमी को पूरा करने में मील का पत्थर साबित होगी. वही विशिष्ट अतिथियों में शामिल सैयद रफत जुबैर रिजवी (समाजसेवी)  ने कहा कि हमारे देश को ऐसे ही प्ररेणादायी लेखकों की जरूरत है, जो युवा पीढ़ी की ऊर्जा व उत्साह को समाज के रचनात्मक विकास हेतु प्रेरित कर सके. टीपी हवेलिया (समाजसेवी) ने कहा कि किशोरों व युवाओं को नई राह दिखाने वाली यह प्रेरणादायी व संग्रहणीय पुस्तक सामाजिक सरोकारों पर भी पैनी नजर रखती है,

समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रख्यात समाजसेवी नवाब जफर मीर अब्दुल्ला ने कहा कि यह पुस्तक सिर्फ युवाओं व किशोरों के लिए प्रेरणास्रोत ही नहीं है अपितु यह समाज के हर वर्ग, हर आयु के लोगों को आदर्श सामाजिक व्यवस्था से रूबरू कराती है.समारोह के संयोजक राजेन्द्र चौरसिया ने बताया कि पं. शर्मा जी समाजिक व्यवस्था में नई ऊर्जा भरने हेतु संस्कारों, जीवन मूल्यों एवं रचनात्मक विचारों से ओतप्रोत अब तक 17 पुस्तकें लिख चुके हैं एवं उनकी लेखनी अनवरत् गतिमान है. पं. शर्मा के उत्कृष्ट लेखन को देश ही नहीं अपितु विदेशों में भी सराहा गया है. साहित्य एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान हेतु पं. हरि  ओम शर्मा ‘हरि’ को विभिन्न उपाधियों व सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है जिनमें पत्रकार गौरव सम्मान, सागरिका सम्मान, साहित्य मनीषी सम्मान, साहित्य सागर सम्मान, प्रकृति रत्न सम्मान, साहित्य रत्न सम्मान, साहित्य श्री सम्मान, ‘शब्दश्री’ सम्मान, सारस्वत सम्मान, साहित्य भूषण सम्मान, सृजन सम्मान एवं उ.प्र. हिन्दी संस्थान द्वारा गुलाब राय सर्जना पुरस्कार आदि प्रमुख हैं. श्री चौरसिया ने बताया कि विमोचन के पश्चात यह पुस्तक लखनऊ के प्रमुख बुक स्टोर्स के अलावा पुस्तक मेला के स्टाल नं. 61 पर भी उपलब्ध है.

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