नई दिल्ली : समान नागरिक संहिता को लेकर केंद्र सरकार सक्रिय हो गई है। इस मुद्दे पर चार प्रमुख केंद्रीय मंत्रियों को अनौपचारिक रूप से अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी गई है। इन मंत्रियों में किरेन रिजिजू, स्मृति ईरानी, अर्जुन राम मेघवाल और जी किशन रेड्डी शामिल है। इन मंत्रियों की पहली अनौपचारिक बैठक हो चुकी है और वह अब अपने अपने क्षेत्रों में विचार विमर्श करेंगे। संसद के मानसून सत्र के पहले समान नागरिक संहिता को लेकर सरकार की सक्रियता से इस बात की भी अटकलें हैं कि वह संसद में इस स्थिति पर ही विभिन्न दलों की प्रतिक्रिया को जान सकेगी। अभी लगभग आधा दर्जन दल इसके पक्ष में दिख रहे हैं। हालांकि अभी यह तय नहीं है कि सरकार इस पर विधेयक लाने ही जा रही है। इतना जरूर है कि सरकार तैयारी पूरी कर रही है।
सूत्रों के अनुसार जिन चार मंत्रियों को अहम जिम्मेदारी दी है उनमें आदिवासियों से जुड़े मुद्दों पर किरेन रिजीजू, महिला अधिकारों से जुड़े मुद्दों पर स्मृति ईरानी, पूर्वोत्तर राज्यों से जुड़े मुद्दों पर जी किशन रेड्डी और कानूनी पहलुओं पर कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल विचार करेंगे। इन मंत्रियों की पूर्वोत्तर के कुछ मुख्यमंत्रियों से भी इस संबंध में चर्चा भी हुई है।
दरअसल, समान नागरिक संहिता पर आगे बढ़ने की दिशा में यह केंद्र सरकार की ओर से पहला गंभीर कदम है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल में भाजपा के बूथ कार्यकर्ताओं से अपने संवाद में समान नागरिक संहिता की वकालत की थी। उसके बाद अब केंद्र सरकार ने इस दिशा में आगे कदम बढ़ाया है। इनमें से कुछ मंत्रियों की इस बारे में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात हुई थी।
प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के भोपाल में अपने संबोधन के दौरान इसे लेकर बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि भारत के मुसलमानों को यह समझना होगा कि कौन से राजनीतिक दल ऐसा कर रहे हैं। एक घर में एक सदस्य के लिए एक कानून हो और दूसरे के लिए दूसरा तो घर चल पाएगा क्या? तो ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा? ये लोग हम पर आरोप लगाते हैं। ये अगर मुसलमानों के सही हितैषी होते तो मुसलमान पीछे नहीं रहते। सुप्रीम कोर्ट बार-बार कह रहा है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड लाओ।