उत्तर प्रदेशराज्य

उत्तराखंड में गाड़ियों की जांच, और यूपी से प्रदूषण जांच प्रमाणपत्र, जानिए कैसे चल रहा फर्जी धंधा

लखनऊ : उत्तराखंड में फर्जी प्रदूषण जांच प्रमाणपत्र का धंधा अंतर्राज्यीय नेटवर्क से चल रहा है। हल्द्वानी और देहरादून में सामने आए फर्जी प्रमाणपत्र यूपी के प्रदूषण जांच केंद्रों की लागिन आईडी से इसका खुलासा हुआ है। राज्य के कुछ प्रदूषण जांच केंद्र संचालकों ने यूपी के प्रदूषण जांच केंद्र संचालकों के साथ गठजोड़ किया हुआ है। यहां वाहन की फोटो के आधार पर प्रमाणपत्र जारी करते वक्त यूपी के केंद्रों की लागिन आईडी का इस्तेमाल किया जा रहा है। कुछ और राज्यों के साथ भी नेटवर्क जुड़ा होने की पूरी पूरी संभावना है। संयुक्त परिवहन आयुक्त सनत कुमार सिंह ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने बताया कि आरटीओ से प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया का ब्योरा दिया। उसमें यह गठजोड़ सामने आया है। प्रमाणपत्र के इस खेल से पर्यावरण को तो नुकसान पहुंच ही रहा है, राजस्व का भी चूना लग रहा है। यूपी के जांच केंद्रों से प्रमाणपत्र बनवाने से राज्य को हर प्रमाणपत्र पर तीस रुपये का नुकसान हो रहा है।

फर्जी प्रमाणपत्र के धंधे पर अंकुश लगाने के लिए हल्द्वानी के आरटीओ संदीप सैनी ने परिवहन आयुक्त मुख्यालय को सुझाव भी भेजे हैं। उन्होंने प्रदूषण जांच केंद्रों में संवेदनशील कैमरे की व्यवस्था करने की सिफारिश की। साथ ही वाहन की प्रदूषण जांच के वक्त तीन से चार रियल टाइम फोटो लेने के बाद प्रमाणपत्र जारी करने पर जोर दिया गया है। सैनी ने प्रदूषण जांच केंद्रों को जियो फेंस करते हुए सर्टिफिकेट जारी करने के लिए एक तीस से 35 किलोमीटर का दायरा तय करने की पैरवी भी की है।

हाल में जारी फर्जी प्रमाणपत्र की लागिन आईडी के आधार पर यूपी परिवहन विभाग को भी जांच केंद्रों का ब्योरा भेजा जा रहा है। प्रदूषण जांच केंद्रों के गठजोड़ को तोड़ने के लिए दूसरे राज्यों से भी मदद ली जाएगी।

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