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फ्लू की महामारी कोविड-19 के मुकाबले हो सकती है इंसानों के लिए ज्यादा खतरनाक, जानिए कैसे

नई दिल्ली: कोरोना वायरस में म्यूटेशन अभी भी महामारी की अन्य लहर के लिए खतरा बना हुआ है. लेकिन, संक्रामक रोग विशेषज्ञों के मुताबिक दुनिया में फ्लू का प्रकोप कोविड-19 के मुकाबले ‘गंभीर और वास्तविक’ जोखिम है. मिनेसोटा विश्वविद्यालय में संक्रामक रोग रिसर्च और नीति केंद्र के निदेशक प्रोफेसर माइकल ओस्टेरहोम के मुताबिक वैश्विक एन्फलुएंजा का प्रकोप कोविड-19 महामारी से ज्यादा बदतर हो सकता है.

मॉडल से पता चलता है कि ये गंभीरता और मौत की गिनती के मामले में अधिक खराब हो सकता है और शुरुआती छह महीनों में 33 मिलियन लोगों की जान ले सकता है, जो कोरोना महामारी के दौरान जान गंवानेवालों से छह गुना अधिक है. उन्होंने आगे बताया कि कोविड-19 से पहले इन्फलुएंजा एक नंबर पर इंसानों के लिए जोखिम था और ये नहीं बदला है.

उन्होंने कहा, “1918 औप 2018 के बीच 100 वर्षों के दौरान इन्फलुएंजा की चार महामारी आ चुकी है. ये स्पष्ट रूप से दिखाता है कि इन्फलुएंजा महामारी का जोखिम गंभीर और वास्तविक खतरा है. सवाल ये नहीं है कि क्या इन्फलुएंजा की दूसरी महामारी आएगी बल्कि कब.” कोविड-19 और इन्फलुएंजा दोनों सांस की बीमारी है और कई तरह के वायरस कारण बनते हैं, लेकिन गंभीर मामलों में दोनों से न्यूमोनिया हो सकता है. मौसमी इन्फलुएंजा के वायरस की साल भर पहचान होती है, फ्लू के वायरस सर्दी और बरसात के दौरान आम हैं. उसके अलावा, फ्लू वायरस के कई प्रकार हैं जो कोविड-19 के मुकाबले बेहद संक्रामक और खतरनाक हैं और जिससे जिंदगी को भारी नुकसान हो सकता है.

इन्फलुएंजा से करीब हर साल 290,000- 650,000 लोगों की जान जाती है. ज्यादातर मामले निम्न और मध्यम आय वाले देशों से होते हैं. दुनिया में ऐतिहासिक रूप से हर 25 साल पर एक बार इन्फलुएंजा की महामारी आती है. विशेषज्ञों के मुताबिक फ्लू की मौजूदा वैक्सीन 1940 में पहली बार विकसित की गई तकनीक पर आधारित है और हर साल बीमारी के स्ट्रेन को देखते हुए नए सिरे से बनाए जाने की जरूरत है. हालांकि, पिछले दस वर्षों के दौरान वैक्सीन बनाने में जबरदस्त सुधार हुआ है, लेकिन अभी भी हमारे पास ज्यादा देर तक मजबूत स्ट्रेन से बचानेवाली वैक्सीन नहीं है. विश्वव्यापी फ्लू की वैक्सीन के लिए अंतिम लक्ष्य हर साल लगाने की जरूरत नहीं बल्कि कई स्ट्रेन के खिलाफ प्रभावी होना है और निम्न और मध्यम आय वाले देशों में इस्तेमाल किया जा सके. इन्फलुएंजा की महामारी के खिलाफ वैक्सीन के लिए तत्काल जरूरत भी है और विशेषज्ञों को उम्मीद है कि कोविड-19 महामारी से सीखा जा सकता है.

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